जयपुर। राज्य में स्कूल पूर्व शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा एवं देखरेख की राष्ट्रीय नीति को राज्य भर में लागू किया जा रहा है। इस नीति के तहत प्रदेश के 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा से जोडा जाएगा।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने राज्य सरकार की बुधवार को शासन सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि स्कूल पूर्व शिक्षा के लागू होने से राज्य के 61 हजार से भी ज्यादा आंगनबाडी केंद्रों पर प्रशिक्षित आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के (स्कूल पूर्व शिक्षा) के जरिए 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के संपूर्ण मानसिक, शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के संदर्भ में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने बताया कि स्कूल पूर्व शिक्षा के तहत 6 वर्ष से छोटे बच्चों को स्कूल में भर्ती होने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाएगा। साथ ही आंगनबाडी केन्द्रों पर पूरक पोषाहार व स्वास्थ्य से संबंधित शिक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूल पूर्व शिक्षा के लागू होने से 3 से 6 वर्ष की आयु के लगभग 13 लाख से ज्यादा बच्चों को लाभ पहुंचेगा।
अब तक सरकार के कार्यविधि नियमों (रुल्स ऑफ बिजनेस) में इस संबंध में कोई जिक्र नहीं था। अब राज्य सरकार ने प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा को कार्यविधि नियमों में शामिल कर महिला एवं बाल विकास विभाग से जोड दिया है।
भदेल ने कहा कि राज्य सरकार के सुराज संकल्प घोषणा पत्र में स्कूल पूर्व शिक्षा (प्री स्कूल एजुकेशन) को पूरे प्रदेश में क्रियान्विति के लिए एजेण्डा बनाया था, उसी के तहत राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों की भी जानकारी भदेल ने दी।
गौरतलब है कि स्कूल पूर्व शिक्षा को पूरे राज्य में समग्र रूप से लागू करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री की अध्यक्षता में एक सामान्य परिषद् का गठन किया जा चुका है व समयबद्ध रूप से क्रियान्वित करने के लिए प्रशासनिक सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति का भी गठन हो चुका है।