नई दिल्ली। देश में वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सोने की मांग में पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और यह 145.9 टन रही। इसकी वजह जीएसटी व धन की हेराफेरी के खिलाफ कड़े नियम माने जा रहे हैं।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट में गुरुवार को यह जानकारी दी गई। साल 2016 की तीसरी तिमाही में सोने की मांग 192.8 टन थी।
डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमासुंदरम ने कहा कि भारत में सोने की मांग गिरी है. इसके पीछे हाल में लागू की गई वस्तु एवं सेवा कर और आभूषण की खुदरा बिक्री पर एंटी मनी लॉन्ड्रिग कानून लागू होने से ग्राहक सोने की खरीदारी से दूर हुए हैं।
उन्होंने कहा कि लगातार तीन तिमाहियों में बढ़त के बाद इस साल तीसरी तिमाही में आभूषणों की मांग में 25 फीसदी की गिरावट आई है और यह 115 टन रही। तथा बार और सिक्कों की मांग में 23 फीसदी गिरावट आई और 31 टन रही।
इस गिरावट का कारण (अप्रेल-जून) में की गई अग्रिम खरीद भी है, क्योंकि तीसरी तिमाही में जीएसटी लागू होने से पहले कंपनियां अपना स्टॉक खत्म करने में जुटी थीं।
सोमासुंदरम ने कहा कि हालांकि उद्योग पर जीएसटी का असर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, तथा एमएल कानून खत्म करने, त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने से चौथी तिमाही में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं।
समीक्षाधीन तिमाही में सोने की वैश्विक मांग 915 टन रही, जोकि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9 फीसदी की गिरावट है।
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