भोपाल। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां शुक्रवार को कहा कि संत कबीर की शिक्षा समाज के लिए संजीवनी है। वह गहरे अर्थो में निर्बल लोगों के पक्षधर थे। वह संत ही नहीं, बल्कि बड़े समाज सुधारक थे।
मध्य प्रदेश के दो दिवसीय प्रवास पर शुक्रवार को राजधानी पहुंचे राष्ट्रपति कोविंद ने लाल परेड मैदान पर सद्गुरु कबीर महोत्सव में कहा कि कबीर ने अन्याय और आडंबर से मुक्त समानता पर आधारित समाज का ताना-बाना बुना था। अंधविश्वास और पाखंड पर कठोर प्रहार किया था। संविधान में न्याय, समानता और बंधुत्व के आदर्श कबीर से प्रेरित है।
राष्ट्रपति कोविंद ने आगे कहा कि संत कबीर मानव प्रेम के पक्षधर थे। उनकी वाणी का उल्लेख गुरु नानक ने गुरुग्रंथ साहिब में किया है। उनकी शिक्षा समानता और समरसता की है। साहस के साथ अंध विश्वास को समाप्त करना ही निर्भीकता है। कबीर ने अपने जीवन में इसका उदाहरण प्रस्तुत किया था।
राष्ट्रपति ने आह्वान किया कि मानवता से प्रेम करने के आदर्श पर चलकर देहदान करें। मानव अंगों के दान से कई लोगों को जीवन मिल सकता है।
कोविंद ने मध्य प्रदेश सरकार की कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि वह कबीर की मंशा के मुताबिक काम कर रही है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है, कबीर के नाम पर सम्मान दिया जा रहा है, इसके साथ ही तीर्थदर्शन योजना में कबीर से संबद्ध स्थलों को भी शामिल किया जा रहा है।
संत कबीर और मध्य प्रदेश के रिश्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संत कबीर का इस प्रदेश से गहरा नाता रहा है। प्रदेश के बांधवगढ़ में उन्होंने लंबा प्रवास किया था। वहां पर कबीर गुफा तीर्थ-स्थल है। मध्य प्रदेश की हर हिस्से की अपनी गौरवगाथा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यहां सांची में बौद्धस्तूप तथा अमरकंटक में प्रथम जैन र्तीथकर ऋषभदेव का मंदिर है। उज्जैन और ओंकारेश्वर में ज्योर्तिलिंग हैं। यहां की धरती ने संगीत सम्राट तानसेन, पूर्व राष्ट्रपति डॉ़ शंकरदयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर और बाबा साहेब अंबेडकर जैसे अनगिनत रत्न पैदा किए हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ओ़ पी. कोहली, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संत कबीर के दर्शन को आज भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि यह दर्शन पूरे जीवन को बदल सकता है।
कार्यक्रम में राज्य के अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री लाल सिंह संत, असंगनाथ, राज्य के हस्तशिल्प विकास निगम के अध्यक्ष नारायण प्रसाद कबीरपंथी भी मौजूद थे।
इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद ने कबीर सम्मान से तीन शब्द-शिल्पियों रेवाप्रसाद द्विवेदी (बनारस), प्रतिभा सत्पथी (भुवनेश्वर) और क़े शिवा रेड्डी (हैदराबाद) को सम्मानित किया। इन्हें पुरस्कार स्वरूप तीन लाख रुपये और सम्मान-पट्टिका भेंट की गई। उन्होंने ‘मध्य प्रदेश में कबीर’ ग्रंथ का विमोचन भी किया।
इससे पहले राष्ट्रपति कोविंद नई दिल्ली से दोपहर लगभग 2़15 बजे भोपाल पहुंचे। हवाईअड्डे पर उनका स्वागत राज्यपाल कोहली और मुख्यमंत्री शिवराज ने किया। कोविंद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
राष्ट्रपति के तय कार्यक्रम के मुताबिक वे लाल परेड मैदान पहुंचकर सद्गुरु कबीर प्रकटोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। जीटीबी कम्पलेक्स में रानी झलकारी बाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उसके बाद राजभवन पहुंचे। राष्ट्रपति के सम्मान में राजभवन में राज्यपाल कोहली ने रात्रिभोज दिया। रात्रि विश्राम भी वह राजभवन में ही करेंगे।
राष्ट्रपति शनिवार की सुबह रायपुर और फिर वहां से अमरकंटक के आईजीएनटीयू हेलीपैड पहुंचेंगे, जहां से वे नर्मदा मंदिर जाएंगे और पूजा अर्चना करेंगे। राष्ट्रपति नर्मदा मंदिर में दर्शन के बाद इंदिरा गांधी नेशनल ट्राईबल यूनिवर्सिटी पहुंचेंगे और द्वितीय दीक्षांत समारोह में भाग लेंगे।
राष्ट्रपति शनिवार दोपहर 2़15 बजे अमरकंटक से हेलीकप्टर से रवाना होकर रायपुर पहुंचेंगे, जहां से वह नई दिल्ली रवाना होंगे।