मकराना। माली सैनी समाज में मृत्युभोज पर विराम लगाने की एक अनूठी पहल मकराना के सोलंकी परिवार ने की। दिवंगत बिदामी देवी पत्नी स्व हीरालाल सोलंकी (रेलवे ड्राइवर) का मत्युभोज न कर उसकी जगह गाय और नंदी का विवाह संस्कार संपन्न कराया।
आॅल इंडिया सैनी समाज की महिला प्रदेशाध्यक्ष गीता सोलंकी ने बताया कि गाय और नंदी बैल का विवाह आचार्य पंडित विमल पारीक शास्त्री के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धूमधाम से हुआ। मिलन के रूप में दुल्हन बनी गाय को 16 श्रृंगार से सजाया गया। इसी तरह दूल्हा बने नंदी फूलों के हार से सजाया गया। आयोजन स्थल पर पांडाल में नंदी सिरमौर बांधे खडे थे। गाय भी सिल्क साडी में शोभायमान लग रही थी।
दोनों की गाजे बाजे के साथ बिंदौरी निकाली गई। नंदी की बारात निकासी के बाद रेलवे स्टेशन, वार्ड नंबर 8, गुनावटी रोड होती हुई तोरण द्वार पहुंची। सामेला पूजन कर तोरण की रस्म अदा की गई।
परिणय रस्म के अनुसार गाय को हल्दी लगाई गई, उसके खुरों पर कंकण बंधन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कन्यादान कर सोलंकी परिवार ने पुण्य लाभ अर्जित किया। कन्यादान के समय महिलाओं ने मंगल गीत गाए तथा समजीवणी की रस्म अदा की गई। गाय और नंदी विवाह रस्म संपन्न होने पर भावभीनी विदाई की गई।
शास्त्रों में गाय और नंदी का विवाह संस्कार का विधान मिलता है, जिसके अनुसार नंदी विवाह को कन्यादान से भी बढकर पुण्य माना गया है। शास्त्रों के अनुसार नंदी को चंद्रमा, सूर्य, शंखचक्र आदि चिन्ह देकर कर्ण छेदन प्रयोजन संस्कार भी किए गए।
इस अवसर पर छह गांव माली सैनी समाज अध्यक्ष ओम प्रकाश सांखला, रामप्रसाद तंवर, वीर सिंह सोलंकी, धर्म चन्द्र सोलंकी, ओमप्रकाश सोलंकी बोरावड, गोरधन राम बागडी, रमेश सोलंकी, मनोज सोलंकी, पंकज सोलंकी, नीरज सोलंकी, मोहन, श्याम सुंदर, दिलीप सोलंकी, प्रकाश सोनगरा, सुखदेव सोलंकी समेत बडी संख्या में धर्मप्रेमी लोग उपस्थित थे।
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