अजमेर। शिक्षा सार्थक और सफल मनुष्य का निर्माण करती है तथा विद्या रूपी कल्पवृक्ष मानव की समस्त अभिलाषायें पूर्ण करती है। यह विचार अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के मेधावी विद्यार्थी अभिनंनदन समारोह में शनिवार को निम्बार्क तीर्थ के जगदगुरू निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य श्रीश्रीजी महाराज ने राजकीय मोईनिया ईस्लामिया उच्च माध्यमिक विद्यालय में व्यक्त किए।
श्रीजी महाराज ने कहा कि शिक्षा से मानव जीवन सफल तथा सार्थक हो जाता है। वह इससे अज्ञानता और अशिक्षा जैसे शत्रुओं को परास्त कर सकता है। शिक्षा पद्धति में संस्कृति, धर्म एवं अध्यात्म का समावेश किया जाना आवश्यक है। पाश्चात्य पद्धति पर आधारित शिक्षा के स्थान पर भारतीय शिक्षा पद्धति अपनाने से राष्ट्र प्रेम के भावों में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि विद्या रूपी कल्पवृक्ष से समस्त प्रकार की अभिलाषा साधना, समर्पण, एकाग्रचित्तता एवं धैर्य से अध्ययन करने से लक्ष्य आसानी से प्राप्त होता है। शिक्षा का उद्देश्य शासकीय सेवा प्राप्त करने तक नहीं रहना चाहिए। विभिन्न माध्यमों से प्राप्त ज्ञान समुचित होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति एवं धर्म विशेष तक ही सीमित नहीं होकर वसुधैव कुटुम्बकम की बात करती है। इसलिए छात्रों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान करवाया जाना आवश्यक है। संस्कृत का अध्ययन करने से भारतीय जीवन मूल्यों में वृद्धि होगी। उनकी मानसिकता सुदृढ़ होगी। संस्कृत का अध्ययन सरल तथा सुगम्य है। संस्कृत पढ़ने से भाषा, उच्चारण व्यक्तित्व में निखार आता है।
समारोह में शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के कारण देश का भविष्य उज्ज्वल है। भारत को विश्वगुरू बनाने में संत, महात्मा तथा महापुरूषों का बड़ा योगदान है। स्वामी विवेकानन्द ने अपने राष्ट्र दर्शन का केन्द्र युवा को रखा था। युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत करने के लिए पाठ्यक्रम में वीटो, महापुरूषों तथा देशभक्तों को शामिल किया गया है। इससे विद्यार्थियों में समाज बोध की भावना का विकास होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों से शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। अध्यापकों के पदों को भरने से विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम सुधरा है। प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को नौ लाख साईकिले तथा हजारोें लैपटॉप वितरित किए गए है।
गार्गी पुरस्कार प्राप्त करने वाली बालिकाओं की संख्या चार गुनी हुई है। शिक्षा में सुधार होने से भामाशाहों ने भी मुक्त हस्त से राजकीय विद्यालयों को सुविधाएं उपलब्ध करवाई है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी को जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपनी राह स्वयं बनानी चाहिए। चार डी डेकोरम (मर्यादा), डिसीप्लेन (अनुशासन), डिवोसन (समर्पण) तथा डिटर्मिनेशन (दृढ़़ संकल्प) से पांचवा डी डवलपमेंट (विकास) स्वतः प्राप्त हो जाता है।
इसी प्रकार तीन पी पेशेंस (धैर्य) पोलाईटनेस (नम्रता) तथा परफेक्टनेस (निपुणता) एवं तीन सी आई केन डू (मैं कर सकता हूँ), क्रियेटीवीटी (सृजनात्मकता) और करेक्टर (चरित्र) जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक है।
समारोह में जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने कहा कि अभिभावकों तथा अध्यापकों में सहयोग से विद्यार्थी प्रतिभावान होकर सम्मानित हो रहे है। पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल ने कहा कि राजकीय विद्यालयों के शिक्षा का स्तर बढ़ा है। उत्तम शिक्षा चरित्र निर्माण तथा सही सोच को प्रोत्साहित करती है।
इस मौके पर जिला कलक्टर गौरव गोयल ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा रोजगार तथा व्यवसाय के क्षेत्र में सर्वाधिक अवसर उपलब्घ हो रहे है। अवसरों की अधिकता आज तक कभी इतनी नहीं रही है। इनके कारण विद्यार्थियों में कैरियर के चुनाव में असमंजस देखा जाता है। इस असमंजस को दूर करके सही निर्णय लेना महत्वपूर्ण कार्य है। इस विषय में सही निर्णय लेने से औसत विद्यार्थी भी सफल व्यक्तियो में शामिल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सफलता प्राप्ति के लिए मेहनत और अनुशासन जीवन में आवश्यक है। शोर्ट कट से स्थाई सफलता नहीं मिलती है। मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। नीचे की तरफ लटकते फलों को पाना आसान हो सकता है लेकिन कठिनाई से प्राप्त होने वाले ऊंचे लगे फल अपेक्षाकृत अधिक मीठे होते है। अनुशासन व्यक्तित्व में एकाग्रता लाता है।
उन्होंने ओलम्पिक तैराक मार्क स्मिथ का उदाहरण देकर समझाया कि व्यक्ति भाग्यशाली होता नहीं है बन जाता है। रेशमी सेज पर सोने का रास्ता गर्म रेत पर चलकर प्राप्त किया जा सकता है। परेशानियां सबके जीवन में आती है। उनका मुकाबला करते हुए आगे बढ़ने वाले विद्यार्थी सफल हो जाते हैं।
प्रारम्भ में नगर निगम के महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने स्वागत भाषण में कहा कि समाज हमें शिक्षा प्रदान करता है। विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा का उपयोग समाज में व्याप्त आसुरी शक्तियों को नष्ट करने में करना चाहिए। अरविंद यादव ने कहा कि इस समारोह से विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। संत महापुरूषों से विद्यार्थी जीवन मूल्यों की शिक्षा ग्रहण करेंगे।
मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह में 97 विद्यालयों के 3852 विद्यार्थियों का अभिनंदन किया गया। समस्त 60 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वालों को प्रमाण पत्र तथा 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वालों को मेडल प्रदान किए गए। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 13, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 57, निजी तथा 27 राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों का अभिनंदन किया गया।
इन विद्यार्थियों मे से सीबीएसई के एक हजार 190 विद्यार्थियों मे से 601 ने 80 प्रतिशत से अधिक तथा 589 ने 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के एक हजार निजी विद्यालयों के एक हजार 541 छात्रों मे से 246 ने 80 प्रतिशत से अधिक तथा एक हजार 295 विद्यार्थियों ने 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। इसी प्रकार राजस्थान बोर्ड के राजकीय विद्यालयों के एक हजार 121 छात्र सम्मानित हुए। इनमें से 130 ने 80 प्रतिशत से अधिक तथा 991 ने 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए।
इस अवसर पर नृसिंह मन्दिर के महंत श्याम सुन्दर महाराज, शिक्षा विभाग के उप निदेशक सीताराम गर्ग एवं जीवराज जाट तथा रमेश सोनी, राजकुमार लालवानी, चन्द्रेश सांखला सहित पार्षद, जन प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं अभिभावक उपस्थित थे।