सबगुरु न्यूज। शिवपुराण की शतरूद्र संहिता की मान्यता के अनुसार इस मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने भैरव रूप में अवतार लिया था। इसलिए यह काल भैरव अष्टमी कहलाती हैं। आज भैरवजी की उपासना की जाती है।
इसी मास की शुक्ल पंचमी को श्रीराम का विवाह हुआ था इस कारण अवध और जनकपुरी मे बड़े धूम धाम के साथ यह उत्सव मनाया जाता है।
मानव कल्याण के लिए श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उसके मन में उपजे हर एक संशय को दूर कर उसके ह्रदय में ज्ञान की ज्योत जला दी और कर्म का उपदेश दिया। श्रीकृष्ण और अर्जुन के इन संवादों को गीता उपदेश के नाम से जाना जाता है। जिस दिन इस ज्ञान की शुरूआत हुई वह इसी मास की शुक्ल एकादशी थी।
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को ही मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। धर्म शास्त्र के अनुसार इस एकादशी को पितर जिनका मोक्ष नहीं हुआ हैं उनके लिए व्रत, दान, पुण्य करने से उनका मोक्ष व कल्याण होता है। इस दिन भगवान दामोदर की पूजा उपासना की जाती है व पितरों के नाम से दान दिया जाता है।
मार्गशीष मास की शुक्ल एकादशी को श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान देना शुरू किया।
इसी मास की पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। सती अनुसूया के गर्भ में ब्रह्मा विष्णु ओर शिव के आशीर्वाद से भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। अतः बारह मासो में इस मास को शीर्ष माना जाता है।
सौजन्य : भंवरलाल