लंदन। बीते कुछ दशकों से पूरी दुनिया में करीब 4 करोड़ लोगों की अकाल मौत का कारण बने खतरनाक विषाणु ह्यूमैन इम्युनोडिफिसियेंसी वायरस यानी एचआईवी की शुरूआत 1920 में अफ्रीकी देश कांगो के आधुनिकीकरण से हुई थी।…
एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को एड्स नामक जानलेवा बीमारी हो जाती है और अभी तक वैज्ञानिकों के अथक प्रयास के बाद भी इसका इलाज संभव नहीं हो सका है। विज्ञान पत्रिका साइंस में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 30 साल से उन्होंने अफ्रीकी देश के 814 लोगों के जिनोम का अध्ययन करके इस विषाणु के उदभव का पता लगाया है।
अध्ययन के मुताबिक 1920 में जायरे के नाम से जाने जाने वाले इस देश कांगो में आधुनिकता की शुरूआत हो रही थी। उस समय यह बेल्जियम का उपनिवेश था और यहां परिवहन व्यवस्था बहुत अच्छी थी। रेलवे और अप्रवासी मजदूरों के जरिये धीरे धीरे यह जानलेवा बीमारी अन्य महाद्वीपों को भी अपने चपेट में लेने लगी।
अध्ययन करने वाले ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओलिवर पाइबस के मुताबिक इससे पहले किसी भी शोध से यह पता नहीं चल पाया था कि एचआईवी का जिनेटिक इतिहास क्या है और उन्होंने खास दायरे में रहकर एचआईवी के जिनोम का अध्ययन किया। पहली बार अत्याधुनिक फाइलो जियोग्रैफिकल तकनीक का इस्तेमाल करके सभी जिनोम का अध्ययन किया गया जिससे यह पता लग पाया कि यह वायरस कहां से आया है।
किनशासा अन्य सभी अफ्रीकी शहरों के सीधे संपर्क में था और यह बेहतर यातायात व्यवस्था से जुड़ा था। किनशासा में काम करने वाले लोग जब अपने घर वापस गए तो साथ में यह बीमारी भी ले गए। आधुनिकता की वजह से यहां के यौनकर्मियों में काफी बदलाव आया और इसके बाद खराब स्वास्थ्य सेवा ने संक्रमण को और अधिक बड़े क्षेत्र में विस्तृत कर दिया।
बेल्जियम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फिलीप लेमे ने बताया कि औपनिवेशिक काल के दौरान के अंाकड़ों का अध्ययन करने से पता चला है कि 1940 के अंत तक दस लाख से अधिक लोग हर साल रेल से किनशासा से होकर गुजर रहे थे। जेनेटिक आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे और पानी के रास्ते सफर करने वाले लोगों के माध्यम से एचआईवी काफी तेजी से पूरे कांगो में फैल गया।
संयुक्त राष्ट्र की एड्स एजेंसी के मुताबिक पूरी दुनिया में अभी साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोग एड्स से संक्रमित हैं और गत साल 15 लाख लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। यह विषाणु इबोला की तरह सीधे संपर्क से नहीं बल्कि यौन संपर्क में आने से और संक्रमित व्यक्ति के रक्त आदि से फैलता है।
एड्स के अध्ययन के दौरान ऎसे कम से कम 13 साक्ष्य पाए गए जिनसे पता चलता है कि बंदरों और लंगूरों का शिकार करके उन्हें खाने से यह बीमारी इंसानों में आई लेकिन उनमें से मात्र एक बार ग्रुप एम के विषाणु एचआईवी-। ने पूरी दुनिया में संक्रमण फैलाया है। अध्ययनकर्ताओं ने एड्स के इतिहास का पता लगाकर संक्रमण के क ारण का पता लगाने की कोशिश की है कि आखिर सिर्फ एचआईवी-। ही क्यों संक्रमण फैला रहा है जबकि शेष विषाणु बाद में खत्म हो गए।