सबगुरु न्यूज। उत्तरायण की ओर बढता सूरज वृश्चिक राशि रूपी बादलों को पार करता हुआ अपनी गर्मी से बर्फ को काट बर्फबारी कराता हुआ धनु राशि की ओर बढकर केतु ग्रह के मूल नक्षत्र में प्रवेश कर मल मास की दस्तक देते हुए 22 दिसम्बर को उतरायन में आ जाता है।
सूरज की इस रस्साकशी में ऐसा लगता है कि जैसे सूर्य की गर्मी खत्म हो गई है और सर्कस के शेर की तरह वह रिंग मास्टर की बेडियों में जकड गया हो।
सूरज की गर्मी तो जंगल के उस शेर की तरह होती है जिसकी दहाड़ से ही सारे जीव थर थर कांपने लगते है। लेकिन शेर जब अपनी मांद से निकल कर किसी के कब्जे में आकर सर्कस में काम करने लगता है तो उसका बर्ताव एक कैदी शेर की तरह हो जाता है और उसकी दहाड़ का कोई असर नहीं होता।
जंगल के शेर ओर सर्कस के शेर से भी भारी कलयुगी शेर होता है जिसका अस्तित्व, बल से नहीं केवल छल, कपट, झूठ, फरेब, लालच से ही होता है ओर वह दोनों शेरों को खुला छोड़ कर दोनों मे ही जंग करवा देता है। खुद ऊंचे मचान पर निर्णायक की तरह उस जंग का फैसला अपनी कूटनीति के छल से करता है। वह हारे हुए को भी विजयी घोषित कर बलवान शेर को सदा के लिए खत्म कर देता है।
युद्ध विराम की घोषणा के साथ ठिठुरती ठंड में सूरज की गर्मी एक ठंडी चांदनी को छोड़ आगे बंसत ऋतु की ओर बढ़ कर सब पर राहत के फूल के बरसाती हुई सांत्वना पुरस्कार देतीं हैं। इस पूरे ही खेल में छल कपट से जीत कर आया शेर शनैः शनैः बलवान हो जाता है और एक दिन कलयुगी शेर की हत्या कर अपने आप को शेर होने का प्रमाण दे देता है। वातावरण में वही सूरज प्रचंड गर्मी को फैंकता हुआ बादलों को बरसा देता है और आकाश जगत में उसके ओट में रहने का लांछन खत्म हो जाता है।
संत जन कहते हैं कि हे मानव इस कलयुग में शेर की दहाड़, बस एक मच्छर की भिनभिनाहट बनकर रह जाती है। कलयुग का शेर एक व्यापारी बन भिनभिनाहट को खरीद कर उसे अपने अधीन कर लेता है और उस भिनभिनाहट से सर्वत्र संक्रामक रोग फैलाता हुआ सभी को बीमार करने के बाद मसीहा की तरह दवा बाँं कर अपने को एक सर्वश्रेष्ठ सेवाधारी घोषित कर देता हैं।
इसलिए हे मानव तू उस साहसी शेर की तरह बन और विकट मोड पर मत घबरा, क्योंकि सदा साहसी की ही विजय होती है। चन्द घास की चाहत में तू शेर होने की गरिमा को मत खोने दे। अन्यथा शेरों की दहाड़ एक सर्कस के शेर की दहाड़ बन कर रह जाएगी और सूरज बादलों की ओट में खो जाएगा।
सौजन्य : भंवरलाल