नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो ने प्री-मेडिकल टेस्ट में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में चार पूर्व अधिकारियों समेत 529 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए हैं। यह पीएमटी परीक्षा-2012 में हुई गड़बड़ियों से जुड़ा मामला है। इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया है, उनमें कई रसूखदार लोग शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने भोपाल स्थित विशेष अदालत में आज एक आरोप पत्र दायर किया, जिसमें राज्य सरकार के तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा निदेशक एससी तिवारी, व्यापमं के तत्कालीन निदेशक पंकज त्रिवेदी, तत्कालीन सीनियर सिस्टम्स एनालिस्ट नितिन मोहिन्द्र, तत्कालीन डिप्टी सिस्टम्स एनालिस्ट अजय कुमार सेन तथा तत्कालीन प्रोग्रामर सीके मिश्रा के नाम शामिल हैं।
सीबीआई के आरोप-पत्र में निजी चिरायु मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष अजय गोयनका, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष एस एन विजयवर्गीय, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष सुरेश सिंह भदौरिया और एलएन मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष जे एन चौकसे के नाम भी शामिल किए गए हैं।
हजार करोड़ रुपए के इस घोटाला मामले में शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा व व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी सहित कई भाजपा नेता जेल जा चुके हैं। इसकी जांच के दौरान 48 लोगों की मौत हो चुकी है। मौतों का रहस्य जानने के लिए दिल्ली से गए समाचार चैनल ‘आजतक’ के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह की भी मौत हो गई थी।
व्हिसिलब्लोअर डॉ. आनंद राय ने बताया कि सीबीआई की ओर से गुरुवार को विशेष न्यायाधीश डी.पी. मिश्रा की अदालत में वर्ष 2012 की पीएमटी परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर आरोपपत्र पेश किया। लगभग 1500 पृष्ठों के आरोपपत्र में 592 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
डॉ. राय के अनुसार जिन प्रमुख लोगों के नाम इसमें आए हैं, उन्होंने न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की, जिसका उनके अधिवक्ता अंशुमान श्रीवास्तव ने विरोध किया। सूत्रों के अनुसार सीबीआई के आरोपपत्र में 592 लोगों के नाम हैं, इनमें से 245 आरोपियों के समन तामील हो चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार सीबीआई के आरोपपत्र में यह बात भी सामने आई है कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस में दाखिले के एवज में 80 लाख और स्नात्कोत्तर के लिए एक करोड़ रुपए तक से ज्यादा की रकम ली गई। एक अनुमान के मुताबिक इस एक साल में हजार करोड़ का घोटाला हुआ है।
व्यापमं घोटाले पर गौर करें तो पता चलता है कि इसमें कई बड़े लोग, जिनमें शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, भाजपा नेता और कई भाजपा नेताओं के करीबी सुधीर शर्मा, व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महेंदा घोटाले का सरगना डॉ. जगदीश सागर जेल जा चुके हैं। इनमें से कई को अब जमानत मिल गई है।
यह मामला 9 जुलाई, 2015 को सीबीआई को सौंपे जाने से पहले इसकी जांच कर रही एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में कुल 55 मामले दर्ज किए गए थे। 21 सौ आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं।
एसटीएफ इस मामले के 12 सौ आरोपियों के चालान भी पेश कर चुकी है। इस मामले का जुलाई, 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त, 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था। फिर इस मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रेल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी, अब मामला सीबीआई के पास है।
इस घोटाले को विपक्षी कांग्रेस ‘महाघोटाला’ कहती है और जांच के सिलसिले में जांच अधिकारियों सहित 48 लोगों के शव मिलने के कारण मुख्यमंत्री शिवराज को ‘शवराज’ की संज्ञा दे चुकी है। विपक्षी पार्टी का कहना है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे भाजपा के लोग देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का सिर्फ झांसा दे रहे हैं।