कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के अमार्पुर थाने से कुछ दूरी पर बदमाशों ने हमला कर बजरंग दल के पूर्व जिला संयोजक इंद्र बहादुर यादव की हत्या कर दी। मौत से पहले बनाए गए एक वीडियो में हमलावरों के नाम सामने आए हैं।
मृतक के भाई ने पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, जिसके बाद शनिवार को पुलिस ने पांचों आरोपियों को हिरासत में ले लिया। हत्या के पीछे पांच लाख रुपए के लेनदेन के विवाद की बात सामने आ रही है।
पुलिस के मुताबिक केशव नगर रावतपुर निवासी इंद्र बहादुर यादव उर्फ विजय यादव (34) करीब डेढ़ साल पहले बजरंग दल का जिला संयोजक था। उसकी ब्रह्मदेव चौराहा पर फर्नीचर की दुकान है। शुक्रवार शाम विजय घर से बोलेरो लेकर निकला था।
बताते हैं कि रावतपुर के केशवनगर के रामकरन के तीन बेटों में दूसरे नंबर के बेटे विजय को शुक्रवार रात अमार्पुर थाने से चंद कदम दूरी पर कुछ लोगों ने रोक लिया। विजय के बोलेरो से उतरते ही तीन लोगों ने उसे पीछे से पकड़ लिया और दो लोगों ने चापड़ व चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिए।
बचकर भागने पर सभी ने दौड़ाकर वार करना जारी रखा। विजय चेहरे व गर्दन पर गंभीर घाव होने पर गिर गया। चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोगों को एकत्र होता देख हमलावर भाग निकले। विजय ने एक राहगीर के फोन से अपने भाई वीर बहादुर को घटना की जानकारी दी।
सूचना मिते ही भाई मौके पर पहुंचा और घायल विजय को एलएलआर अस्पताल (हैलट) ले गया, जहां से गंभीर हालत देख रीजेंसी अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
इस मामले में शनिवार को एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा ने बताया कि हत्या के पीछे रंजिश और लेनदेन का विवाद सामने आया है। आरोपियों की धरपकड़ के लिए दो टीमों को लगाया गया है।
एसएसपी के मुताबिक गंभीर रूप से जख्मी विजय का कुछ लोगों ने मरने से पहले वीडियो बनाया था। इसमें उसने आरोपियों के नाम लिए हैं। आरोपियों से विजय का पुराना विवाद है। टीम गठित कर आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए हैं। मृतक के भाई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है।
वहीं मृतक के भाई वीर बहादुर के मुताबिक भाई की हत्या शारदा नगर निवासी विनय झा व विनोद झा ने पांच लाख रुपए के लेनदेन के विवाद के चलते साथियों के साथ मिलकर की।
उसने बताया कि विनय ने एक वर्ष पूर्व रुपए न देना पड़े, इसके चलते भाई पर फर्जी हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया था। इसके चलते विजय दीपावली के पहले दस माह जेल काटकर जमानत पर छूटा था।