नई दिल्ली। लोकसभा व विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि सरकार के लिए नीति, योजना प्रक्रिया व क्रियान्वयन आसान हो जाएगा क्योंकि इससे संसाधनों पर अवांछित बोझ नहीं पड़ेगा।
राष्ट्रीय कानून दिवस पर एक समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में बहुत से राष्ट्रों में एक साथ चुनाव प्रणाली है और चुनावों के लिए तारीख तय है। लोगों को इसके बारे में अग्रिम तौर पर जानकारी होती है। इसका फायदा यह है कि देश हमेशा चुनाव के मोड में नहीं होता है। योजना प्रक्रिया, नीति व क्रियान्वयन ज्यादा कुशल होता है और देश को अवांछित बोझ का सामना नहीं करना पड़ता है।
देश पर भारी आर्थिक व संसाधनों के बोझ की बात कहते हुए मोदी ने कहा कि 2009 के आम चुनावों में 1,100 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि 2014 के चुनावों में 4,000 करोड़ रुपए खर्च हुए।
उन्होंने कहा कि आदर्श चुनाव आचार संहिता एक बार लागू हो जाने के बाद सरकार आसानी से फैसले नहीं ले पाती। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने पहले भी एक साथ चुनाव देखा है, लेकिन कई कारणों की वजह से यह प्रणाली चलन से बाहर हो गई।
उन्होंने कहा आज (रविवार) राष्ट्रीय कानून दिवस के मौके पर मैं चाहता हूं कि इस चर्चा को आगे बढ़ाया जाए। इस समारोह में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा व केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के अलावा अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद थे। मोदी ने न्यायपालिका, विधायिका व कार्यपालिका के बीच में बेहतर समन्वय की बात कही क्योंकि यह भारतीय संविधान की रीढ़ है।