नई दिल्ली। वरिष्ठ राजनेता शरद यादव ने गुरुवार को कहा कि उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार देने के लिए हर तरफ’ से दबाव था और उन्हें यह पहले से ही पता था कि क्या फैसला लिया जाने वाला है।
शरद यादव ने कहा कि मुझे पता था कि यह (अयोग्य करार दिया जाना) होने जा रहा है। कुछ मीडिया के लोगों ने इसके बारे में लिखा था। मैंने इसके लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया था। मुझे कोई पछतावा नहीं है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह अंत नहीं है और सिद्धांतों की लड़ाई जारी रहेगी। हालांकि, शरद यादव ने अपने को अयोग्य करार देने के लिए राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू पर हमला करने से परहेज किया और उन्हें पुराना मित्र बताया।
उन्होंने कहा कि वह मेरे पुराने मित्र हैं। लेकिन, राजनीति में परिस्थितियां बदलती हैं। अभी भी संस्थान (राज्यसभा सभापति) के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। लोग आते हैं और जाते हैं, लेकिन संस्थान बने रहते है और हमें उनका आदर करना चाहिए।
शरद यादव को अयोग्य करार देने का नोटिस सोमवार की रात करीब 10.30 बजे उनके निवास पर दिया गया। इस दौरान शरद यादव गुजरात के दौरे पर थे।
यह पूछे जाने पर क्या वह सोचते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री व जनता दल युनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने उनके उच्च सदन से निष्कासन में तेजी लाने का दबाव बनाया है, इस पर शरद यादव ने कहा कि मैं समझता हूं कि सभी तरफ से दबाव रहा होगा।
जनता दल युनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि लेकिन, मैं इसे निष्कासन के तौर पर नहीं देखता। मैं इसे एक विराम के तौर पर देखता है। अब मैं पूरी तरह से खुद को पार्टी की गतिविधियों में समर्पित करूंगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार में महागठबंधन को तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाने के बाद शरद यादव, नीतीश से अलग हो गए। महागठबंधन में लालू प्रसाद की राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस व जनता दल युनाइटेड शामिल थी। नीतीश ने महागठबंधन से किनारा कर जुलाई-अगस्त में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया।