जबलपुर। व्यापमं घोटाले में आरोपी बनाए गए प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत दी है। राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ हुई एफआईआर को कोर्ट ने क्वैश कर दिया है।
चीफ जस्टिस एएम खानविलकर एवं रोहित आर्या की खंडपीठ ने कहा है कि राज्यपाल के पद पर रहते हुए इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। उल्लेखनीय है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल अंतर्गत वनरक्षक भर्ती घोटाले में प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को जांच एजेंसी एसटीएफ ने आरोपी मानते हुए उनका नाम एफआईआर में दर्ज किया था।
राज्यपाल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता महेंद्र पटैरिया ने बताया कि हाईकोर्ट में दायर याचिका में बीते दिनों चीफ जस्टिस की डबल बैंच ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए एफआईआर के आधार पर पूछताछ करने पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला?
व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ टीम ने वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 मामले में राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। हाईकोर्ट में राज्यपाल की ओर से पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील रामजेठमलानी ने तर्क दिया था कि राज्यपाल के खिलाफ दाण्डिक कार्यवाही करना संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) के विपरीत है, क्योंकि यह अनुच्छेद पद पर रहते हुए राष्ट्रपति और राज्यपालों को ऐसी कार्यवाही से सुरक्षा प्रदान करता है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में एफआईआर पर रोक लगाते हुए राज्यपाल को राहत दी थी।
गौरतलब है कि व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ ने राज्यपाल यादव के खिलाफ इसी साल 24 फरवरी को भादंवि की धारा 420 सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण कायम किया था। व्यापमं द्वारा संचालित वन रक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में हुई गड़बड़ी में राज्यपाल पर सहभागी होने का आरोप था।