नई दिल्ली। भारतीय सेना को लंबे इंतजार के बाद हवाई हमलों के खिलाफ बड़ा हथियार आकाश मिसाइल प्रणाली मंगलवार को मिल गई जिससे वह दुश्मन के लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टरों के साथ साथ ड्रोन विमानों को भी पलक झपकते ही ध्वस्त कर सकती है।
देश में ही बनी यह मिसाइल प्रणाली अत्याधुनिक है तथा हर तरह के मौसम में 3 से 25 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। सतह से हवा में मार करने वाली यह मिसाइल 30 मीटर से 20 किलोमीटर तक की ऊंचाई के कई लक्ष्यों को एक साथ भेद सकती है।
लगभग 6 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन 720 किलोग्राम है। आकाश मिसाइल प्रणाली अत्याधुनिक श्रेणी के राडार से लैस है। भारत डायनॉमिक्स लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक ने थल सेना प्रमुख जनरल दलबीर ङ्क्षसह सुहाग को यहां एक कार्यक्रम में आकाश मिसाइल प्रणाली की चाबी तथा मॉडल प्रतीक स्वरुप भेंट किया।
सेना को अगले दो वर्षों में दो आकाश रेजिमेन्ट मिलेंगी और इसकी 6 फायङ्क्षरग बैटरी पर 14 हजार 180 करोड़ रुपए की लागत आएगी। जनरल सुहाग ने इस मौके पर कहा कि जरूरतों को देखते हुए सेना का तेजी से आधुनीकिकरण किया जा रहा है और आकाश मिसाइल प्रणाली इसी का हिस्सा है। इससे थल सेना की हवाई ताकत बढ़ेगी और यह किसी भी तरह की चुनौती से निपट सकेगी।
उन्होंने कहा कि हवाई रक्षा प्रणाली की ताकत बढ़ाना सेना के आधुनिकीकरण के सात महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है और इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है। इसके तहत छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की हथियार प्रणाली पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सेना के आधुनिकीकरण के लिए दो स्तर पर काम किया जा रहा है एक ओर मौजूदा प्रणालियों को बदलती परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा रहा है दूसरे अत्याधुनिक प्रणालियों को इसमें शामिल किया जा रहा है।
वायु सेना के पास आकाश मिसाइल पहले से ही है और वह चीन से संभावित हवाई खतरे का मुकाबला करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में छह मिसाइल स्क्वैड्रन तैनात करने जा रही है। आकाश एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है जो हर तरह की कसौटी पर खरी उतरी है। रक्षा क्षेत्र के सरकारी उपक्रम भारत डायनॉमिक्स लिमिटेड ने छोटी बड़ी 40 स्वेदशी कंपनियों के सहयोग से इसका निर्माण किया है।