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असत्य का संग़ठन और सत्य का दफ़न - Sabguru News
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असत्य का संग़ठन और सत्य का दफ़न

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असत्य का संग़ठन और सत्य का दफ़न

सबगुरु न्यूज। सत्य जब पूजा के फलों को अर्पण करने के लिए कर्म की थाली सजाता है तो उससे पहले ही असत्य का संगठन कपट की थाली में फरेबी फूलों से पूजा कर सत्य के फलों को अपनी झोली में डाल लेता है। सत्य की हुंकार को बौनी करार देता हुआ उसे दफना देता है। इस तरह से हारता हुआ सत्य रो रो कर सत्यता का भान करता है, तो स्वयं असत्य का संगठन अंहकारी शंखनाद से सत्य को स्मृति शेष बना देता हैं।

सत्य का संगठन नहीं होता है और असत्य संगठन बनाकर ही सत्य को हर तरह से लूट कर अपने आप को अजेय घोषित करा लेता है। रावण और कंस की नीति को अपनाते हुए असत्य के संगठन जब नव शक्तिशाली योद्धा राम और कृष्ण को पैदा होते ही मरवाने के लिए हर हथकंडो का इस्तेमाल करते हैं तो निश्चित रूप से असत्य के संगठन कुछ काल के लिए अपनी जीत का ऐलान करा लेते हैं। ताडका और पूतना जैसी राक्षसियों के जरिए लेकिन एक दिन ये नव योद्धा इन राक्षसियों को मारकर रावण और कंस जैसे कपटी लोगों का अंत कर विजयी बन जाते हैं और फिर उनकी जीत का ऐलान पीड़ित समुदाय स्वयं करता है।

जमीनी हकीकत से लेकर आसमां तक सत्य एक ही होता है और असत्य की तरह हर स्तर पर उसे प्रमाण नहीं देना पडता। जमीन पर पानी ही नहीं था तो फिर भरपूर फसलों का उत्पादन खेतो से नहीं आ सकता है, यदि आता है तो निश्चित रूप से ये सत्य नहीं हो सकता।

जब सत्य नहीं है तो उन खेतों से पैदावार होने की घोषणा असत्य का संगठन करा देता है और असत्य अपनी विजय करा लेता है। सत्य चीखता चिल्लाता ही रह जाता है और असत्य उसे जमीन मे दफ़न कर देता है।

सदियों से चल रहे इस खेल में संस्कृति सदैव रोती सिसकती रही और परमात्मा पर सब कुछ छोडते हुए मानव ने इस संस्कृति को लज्जित होने के लिए छोड़ दिया। ना संस्कृति बची और ना ही परमात्मा सामने आया। एक अशक्तिमान और बडा तबका सदा छोटे से असत्य के संगठन से पीटता रहा।

सत युग से कलयुग तक यही कहानी रही। सदैव संस्कृति का चीर हरण होता रहा और शक्तिशाली असत्य अपने स्वार्थो के लिए इस चीर हरण का नजारा देखता ही रहा। पीड़ित बड़े तबके का चीर हरण और भावुकता के खेल से यह व्यापार करता हुआ असत्य, धर्म को सिर पर रखकर अपनी जीत का ऐलान खुद करवा कर सत्य का दफ़न करता है।

संत जन कहते हैं कि हे मानव तू अपने कर्म के लिए भावुकता के खेल में मत फंस और अपनी संस्कृति की लाज बचाने के लिए चुनौती पूर्ण ढंग से असत्य के संगठन का मुकाबला कर। आज नहीं तो कल तेरी जीत होगी और लूट कपट के बाजार में बैठे इन लाखों लुटेरों का अंत होगा। परमात्मा का चोला ओढ़कर जो संगठित होकर मानव सभ्यता और संस्कृति का चीर हरण कर रहे है वे मिट जाएंगे।

सौजन्य : भंवरलाल