मुंबई। ‘देसवा’ और ‘मिथिला मखान’ जैसी फिल्मों की निर्माता अभिनेत्री नीतू चंद्रा का कहना है कि वह भोजपुरी फिल्मों के जरिए वह अपनी मातृभाषा की छवि को साफ करना चाहती हैं।
यह पूछे जाने पर कि वह हिंदी फिल्मों में काम करने की बजाय भोजपुरी फिल्मों की निर्माता क्यों बनना चाहती हैं, नीतू ने कहा कि मैं बिहार से आती हूं, जहां भोजपुरी फिल्मों को अश्लील फिल्मों की तरह देखा जाता है। जब भी आप भोजपुरी सुनते हैं, आप इससे जुड़ना नहीं चाहते हैं। इन फिल्मों को नीच समझा जाता है और इसके कई कारण भी हैं। मैं इसे नहीं मानती, यह मेरी मातृभाषा की सिनेमा है।
नीतू ने कहा कि इसलिए मैंने और मेरे भाई ने भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषा में फिल्में बनाने की ठानी। हम फिल्मों के जरिए अपनी मातृभाषा की छवि बदलना चाहते हैं, जिसे बहुत बदनाम किया गया है।
नीतू ने आगे कहा कि इसका व्यापार के कुछ लेना देना नहीं है, जैसा कि वह कहते अगर आप बदलाव चाहते हैं, तो आपको बदलाव लाना पड़ेगा। नीतू राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक अपने भाई नितिन चंद्रा के साथ चंपारण टॉकीज नामक एक प्रॉडक्शन हाउस चलाती है। यह प्रॉडक्शन हाउस अपने प्लेटफॉर्म नियोबिहार के लिए भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषा में कन्टेंट बनाते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह क्षेत्रीय कन्टेंट वाली फिल्में बनाना पसंद करेंगी या कमर्शियल हिंदी फिल्में। नीतू ने कहा कि मैं समझती हूं कि कंटेंट वाली कमर्शियल फिल्में बनाने की आवश्यकता है।
अपनी पहली फिल्म ‘देसवा’ के बारे में चंद्रा ने कहा कि देसवा भोजपुरी के लिए बहुत बड़ी फिल्म बनी और हिंदी सिनेमा के लिए बहुत छोटी। भोजपुरी फिल्म उद्योग माफिया ने हमें यह फिल्म रिलीज नहीं करने दी इसलिए हम नियो बिहार जैसे प्लेटफॉर्म के साथ आए, जहां हमले फिल्म रिलीज की और विभिन्न कंटेंट आधारित वीडियो पर काम किया। ‘देसवा’ 23 दिसंबर को चंपारण टॉकीज के यूट्यूब चैनल नियो बिहार पर रिलीज होगी।