सबगुरु न्यूज। आध्यात्मिक दर्शन बताते हैं कि हे मानव इस संसार में तेरा जन्म 84 लाख योनियो के बाद हुआ है और तेरे हर जन्म के शुभ कर्मो की पूंजी का फल ही तुझे मानव योनि के रूप में मिला है।
तू गफलत में होकर इस हीरे के समान खूब सूरत जीवन को बरबाद मत कर ओर उस परम पिता परमेश्वर की बात का ध्यान रखा। भले ही तू पूजा उपासना व कोई अनुष्ठान मत कर और ना ही तू किसी मूर्ति पूजा मे अपना ध्यान लगा। ना ही तू साकार या निराकार परमात्मा को मान। लेकिन नास्तिकता के उस सकारात्मक पहलू की ओर झांक जो जीवन को उन्नत ढंग से जीने की राह दिखाता हैं जहां पर कर्म ही पूजा है और सहयोग ही धर्म है व प्रेम ही ईश्वर है।
नास्तिकता की इसी धरोहर को मान कर तू कार्य कर, वास्तव में वो ही करतार है अर्थात परमात्मा है। वह तुझे मिल जाएगा और तेरा जन्म सफल हो जाएगा। पृथ्वी, आकाश, अग्नि, वायु और जल इन पांच तत्वों के संयोग से तेरा शरीर बना है और जीने के लिए तुझे इन पांचों की ही सदा जरूरत पड़ेगी। जब इस संसार में मुक्त होकर तू मृत्यु को प्राप्त होगा तो भी इन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाएगा।
हे मानव तेरा जन्म इस संसार में हो चुका है, तू इसे यू ही अपने स्वार्थो में मत गंवा और ना ही तू किसी आस्तिक या नास्तिक दर्शन को मान। तू वास्तविक दर्शन को मानते हुए मानव की सभ्यता और संस्कृति को पोषण कर अन्यथा कुपोषित होतीं हुई सभ्यता और संस्कृति आने वाली पीढ़ियों को मार्ग दर्शन नहीं दे पाएंगी और मनमाना व्यवहार कर आदि मानव की तरह बन जाएगा। एक दूसरे को नष्ट-भ्रष्ट कर देगा।
हे मानव तू अपन स्वार्थ वश एक महान विश्लेषक की भूमिका बनाकर धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक ओर क़ानूनी दाव पेंच की चौपाले लगाकर न्याय सिद्धांत को अपने अनुसार मत बना क्योकि ये न्याय सिद्धांत तो प्रकृति के न्याय सिद्धांत है। इनमें दखल देना उस करतार के मार्ग को रोकना है जो मानव को जीवन देता है और उसे अपने ही साधनों से पोषित करता है।
विश्लेषकों की ये चौपालें मूल गुण धर्म की दिशा और दशा दोनों को अपने हितों के लिए खत्म कर मानव और मानव में घृणा व नफ़रत फैलाकर समाज का विखंडन कर रहीं हैं। दुनिया को दिखाते हुए कि हम सत्य की पैरवी करते हैं और मानवता के मूल्य के लिए कल्याणकर्ता है। मानव कल्याण की मैली चादर ओढ़े ये यमराज के दूत बने विश्लेषक चीखते हैं चिल्लाते हैं और सत्य का दफ़न करते हैं। अपना एक खेल दिखा उसे ही सच बता स्वयं कर्ता बन जाते हैं।
संत जन कहते हैं कि हे मानव इस दुनिया में तेरा जन्म हो चुका है अब तू आत्मा और मन से जाग तथा अपने उस श्रेष्ठ कर्म की ओर बढ़ जहां तूझे झूंठ के पंडालों में बैठकर मानव को तोडने के प्रवचन न सुनने पडे। इसलिए हे मानव तू गुमराह मत हो और करतार के मार्ग को देखकर मानवता के मूल्य को पहचान।
सौजन्य : भंवरलाल