नई दिल्ली। राज्यसभा में सरकार और विपक्षी दल के बीच प्रधानमंत्री के बयान के संबंध में हुई वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद सदन में गतिरोध जारी रहा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को कांग्रेस सदस्यों की मांग पर आधे घंटे बाद ही सदन की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित करना पड़ा।
कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह पर लगाए आरोप से उत्पन्न विवाद का ‘हल’ निकाले जाने तक राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करने की मांग की थी।
सभापति ने पहले विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए राज्यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी और बाद में कांग्रेस सदस्यों की ओर से मांग पर डटे रहने के कारण 27 दिसंबर तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अवरोध समाप्त होने तक सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग की।
आजाद ने कहा कि आपने इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक समिति गठित की थी। सरकार और हमारे बीच एक बैठक हो चुकी है लेकिन हम किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सके। फिर भी बातचीत जारी है।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार सप्ताह का अंतिम दिन है और कोई बड़ा काम नहीं है। मेरा अनुरोध है कि गतिरोध खत्म होने तक सदन को स्थगित किया जाए। अगर हल निकल जाता है तो बहुत अच्छा। हालांकि हम चाहते हैं कि सदन चले। हम वेल में आकर इसमें व्यवधान नहीं करना चाहते।
मोदी ने गुजरात चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के आवास पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सोहेल महमूद और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी से गुजरात चुनाव पर चर्चा की थी।
कांग्रेस प्रधानमंत्री के बयान पर लगातार माफी की मांग कर रही है। संसदीय मामलों के राज्यमंत्री विजय गोयल ने विपक्ष से संसद की कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया और कहा कि इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है। उम्मीद करता हूं यह फलदायी हो। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिसका समाधान नहीं निकल सकता। मैं आपसे सदन चलने देने का आग्रह करता हूं।
कांग्रेस सदस्यों के अपनी मांग पर अड़े रहने की वजह से नायडू ने सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।