संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण पर प्रतिक्रियास्वरूप शुक्रवार को सर्वसम्मति से उस पर आर्थिक प्रतिबंध और भी कड़े कर दिए। इन नए प्रतिबंधों के मद्देनजर उत्तर कोरिया को की जाने वाली ईंधन आपूर्ति और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में बेतहाशा कटौती की गई है।
उत्तर कोरिया के खिलाफ इस प्रस्ताव को अमरीका ने ही पेश किया था, जिसका उत्तर कोरिया के समर्थक देश चीन सहित कई देशों ने समर्थन किया। ये नए प्रतिबंध पिछले महीने लगाए गए प्रतिबंधों की तुलना में और भी कड़े हैं।
संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली ने कहा कि यह प्रस्ताव उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ाएगा। है। पिछली बार की तुलना में इस बार प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया गया है। हेली ने प्रस्ताव पर चीन के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि मैं विशेष रूप से चीन के अपने सहयोगियों का आभार व्यक्त करना चाहूंगी, जिन्होंने इस पर हमारे साथ काम किया।
इन नए और कड़े प्रतिबंधों के समर्थन में चीन की वोचिंग से पता चलता है कि इससे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और चीन उत्तर कोरिया के परमाणु एवं मिसाइल हथियारों से वैश्विक खतरे को भांप रहा है।
चीन के उपराजदूत वू हेताओ ने कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर जा रही थी और खतरा बढ़ रहा था। इस प्रतिबंध के तहत उत्तर कोरिया को किए जाने वाली पेट्रोलियम निर्यात में 90 फीसदी तक की कटौती होगी। यदि उत्तर कोरिया आगे भी इसी तरह मिसाइल एवं परमाणु परीक्षण करता रहेगा तो इस कटौती को और बढ़ा दिया जाएगा।
इस प्रस्ताव के तहत उत्तर कोरिया को किया जाने वाला निर्यात और अधिकतर आयात प्रतिबंधित है। इसके साथ ही 2019 के अंत तक उत्तर कोरिया के सभी प्रवासी श्रमिकों का निष्कासन भी शामिल है।
इसके साथ ही हथियारों के निर्माण में शामिल उत्तर कोरिया के 15 बैंकर्स को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया है और उनकी संपत्तियां फ्रीज कर दी गई हैं। इनके यात्रा पर भी प्रतिबंध है।
इस प्रस्ताव के अंतर्गत सभी देशों को उत्तर कोरिया को सामान की तस्करी कर रहे जहाजों को जब्त करने का भी अधिकार है। वू ने इस मामले में अनर्गल बयानबाजी बंद करने का आह्वान किया है क्योंकि इससे तनाव ही बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध बढ़ाने से उसकी हथियार प्रसार गतिविधियां और बढ़ेगी।