नई दिल्ली। दिल्ली में सत्तारूढ़ आप ने सोमवार को दिल्ली मेट्रो की मेजेंटा लाइन के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाए जाने को शहर के आम लोगों का अपमान बताकर दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की आलोचना की और कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि केजरीवाल मेट्रो किराए को घटाने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न कर सकें।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली मेट्रो के उद्घाटन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाना दिल्ली के नागरिकों का अपमान है। केजरीवाल को उद्घाटन का न्यौता नहीं भेजने का एक ही कारण है और वह यह है कि केजरीवाल मेट्रो द्वारा हाल ही में बढ़ाए गए किराये को प्रधानमंत्री से कम करने की मांग न कर सकें।
सिसोदिया ने यह भी कहा कि जिन्होंने दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ाया है, वे केजरीवाल से डरते हैं। सिसोदिया ने यह बयान बोटेनिकल गार्डन-जनकपुरी वेस्ट खंड वाली दिल्ली मेट्रो की नई मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह के बाद दिया।
इस समारोह में प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को आमंत्रण दिया गया था लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया गया। फिलहाल बोटेनिकल गार्डेन से कालकाजी के बीच चल रही मेजेंटा लाइन मेट्रो का प्रधानमंत्री ने सोमवार को उद्घाटन किया।
इस मौके पर उन्होंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ट्रेन की सवारी भी की। यह खंड नोएडा के बोटेनिकल गार्डन को दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी मंदिर स्टेशन से जोड़ता है जिसको जनकपुरी वेस्ट तक विस्तारित किया जाएगा।
आप नेता दिलीप कुमार पांडे ने भी डीएमआरसी को आड़े हाथ लिया और कहा कि उद्घाटित मेजेंटा लाइन के नौ में से सात स्टेशन दिल्ली में हैं और इसके लिए दिल्ली मेट्रो को आधी राशि दिल्ली सरकार ने दी है, लेकिन उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश व हरियाणा के मुख्यमंत्री को आमंत्रण भेजा गया।
उन्होंने कहा कि समस्या दिल्ली मैन (अरविंद केजरीवाल) को लेकर है। सबकुछ स्वीकार है लेकिन दिल्ली के लोगों को उनके हक से वंचित मत करो। क्रेडिट लीजिए लेकिन किराया कम कीजिए। इस वर्ष दिल्ली मेट्रो का किराया दो बार बढ़ाया गया है।
नए किराये के तहत, जो यात्री पहले 2 से 5 किलोमीटर के लिए 15 रुपए देते थे, उन्हें अब 20 रुपए चुकाना पड़ रहा है। पहले के अधिकतम किराये 50 रुपए को बढ़ाकर 60 रुपए कर दिया गया। दिल्ली सरकार ने किराया वृद्धि का विरोध किया था।