Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
आगे बुढापो आवै घणो भारी - Sabguru News
Home Latest news आगे बुढापो आवै घणो भारी

आगे बुढापो आवै घणो भारी

0
आगे बुढापो आवै घणो भारी

सबगुरु न्यूज। हे श्रेष्ठ मानव काल चक्र अपना खेल खेलकर आगे बढ़ता जा रहा है और एक मौन गवाह बन कर इतिहास लिखता जा रहा है। भले ही इतिहास को तू अपने ही तरीके से लिख। अपने आप को खूब महिमा मंडित करा ओर अपने लोगों की सहायता से तू सम्मान को प्राप्त कर। चाहे ताम्रपत्र में लगवा कर दुनिया के चारों कोने में लगवा लेकिन कर्मों का लेखा कुदरत करती जा रही है।

तेरा लिखा इतिहास फिर बदल सकता है पर काल चक्र ने तेरे इतिहास पर मौन गवाह बनकर हस्ताक्षर कर दिए हैं और उसे प्रकृति मे दर्ज करा दिया है। यही इतिहास तुझे आने वाले कल मे जबाब देगा। तब तू समझ जाएगा कि जीवन को बचपन जवानी बुढापे का ही सामना करना पड़ता है कर्म वार।

तेरे कर्म का बालपन परमात्मा अबोध समझ माफ़ कर देगा लेकिन ज़वानी के अहंकार की हुंकार तेरे कर्म को दंड देंगी क्योंकि यह कर्म तेरी सोची समझी रणनीति है। तेरे इस कर्म से मानव व मानवता का चीर हरण हुआ है और यह कर्म आने वाले बुढ़ापे की लाठी छीन लेगा।

इसलिए हे मानव तू गुमराह मत हो और आने वाले भारी बुढापे की ओर झांक। वहां संकट पूर्ण घडियां आएंगी। ओर तेरा हर पल तुझे बिताना भारी होगा। तेरा भले ही तुझे कितना भी क्यों ना चाह ले पर तेरा शरीर तुझे नहीं चाहेगा।

इसलिए हे मानव तू अब भी संभल जा। जो बीत गया उसे जाने दे और कर्म रूपी परमात्मा की शरण ले जिसमे जन कल्याण बसा हो। यह जन हितकारी रास्ता तेर प्रायश्चित का सेतु बन कर तेरी इस जीवन यात्रा को सफल कर देगा और तेरे बुढापे की लाठी बन कर परमात्मा खुद बिना बुलाए आ जाएगा।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, व्यक्ति जब जानबूझकर ऐसा कर्म करता है जिससे करोड़ों लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है तो परमात्मा उस मे शैतान का रूप देखता है और यह सोचता है कि इस शैतान को सुधरने का मौका दिया जाए लेकिन फिर भी व्यक्ति नया अपराध करने की योजना बनाता है। वह जैसे ही उस पर अमल करना शुरू करता है तो विधाता उस व्यक्ति के कर्म चयन का फल देता हुआ हर तरह से उसे घेर कर उसकी अहंकारी लाठी को छीन कर पंगु बना देता है।

इसलिए हे मानव जब तेरा परचम लहरा रहा हो उस समय अनीति से बच और कल्याण की फसल की बुवाई कर ओर निर्मल विचारों से इसकी सिंचाई कर निश्चित रूप से यह कर्म तेरी बुढापे की लाठी बन जाएगी।

सौजन्य : भंवरलाल