कीव। यूक्रेन सरकार और रूस समर्थित विद्रोही धड़े ने कैदियों की अदला-बदली प्रक्रिया शुरू की। इसके तहत सैंकड़ों कैदियों को रिहा किया गया। यह 2014 में शुरू हुए यूक्रेन संकट के बाद कैदियों की अब तक की सबसे बड़ी अदला-बदली है।
मिस्क समझौते के तहत कैदियों की अदला-बदली हुई है। यह समझौता 2015 में हुआ था।समझौते के तहत कैदियों की अदला-बदली प्रक्रिया रूकी हुई थी और विश्लेषकों को लगता था कि अब यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाएगी लेकिन दोनों पक्षों ने इस प्रक्रिया को जारी रखने का फैसला किया।
यूक्रेन में रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के प्रवक्ता मिलाडीन बोगेटिक ने बीबीसी को बताया कि इनमें से कुछ को पहले ही रिहा कर दिया गया है और यूक्रेन सरकार द्वारा इन पर लगाए गए आरोप हटा दिए गए हैं और इसे बाद इन्होंने सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्र में रहने को प्राथमिकता दी।
यूक्रेन को दो नागरिकों ने विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र में रहने का फैसला किया। कैदियों की अदला-बदली को लेकर पिछले कई महीनों से बातचीत चल रही थी, जिमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेन्को के साथ रूस के रूढ़िवादी चर्च के प्रमुख भी शामिल थे। कैदियों को ले जाने के लिए दोनेत्सक के होरलिवका शहर के पास मेयोरोस्क नाके के पास बसें और अन्य वाहन पहुंचे।
अदला-बदली को मैक्रों, मर्केल ने सराहा
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने यूक्रेन सरकार और रूस समर्थित विद्रोहियों द्वारा कैदियों की अदला-बदली का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने मिंस्क शांति समझौते के पूर्ण क्रियान्वयन पर जोर देते हुए कैदियों की अदला-बदली की है।
फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से बुधवार को जारी संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने कैदियों की अदला-बदली को एक महत्वपूर्ण नतीजा बताया, जिसे दोनों पक्षों के बीच विश्वास निर्माण के तौर पर देखा जाना चाहिए।
मैक्रों और मर्केल ने यूक्रेन और रूस समर्थित विद्रोहियों से बाकी के कैदियों को भी रिहा करने का आग्रह किया और सभी कैदियों तक रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) की मदद पहुंचाने और लापता लोगों की तलाश का भी आग्रह किया है।
गौरतलब है कि बुधवार को यूक्रेन और रूस समर्थित विद्रोहियों ने फरवरी 2015 में हुए शांति समझौते के तहत कैदियों की अदला-बदली की।