सबगुरु न्यूज। जंगल के शेर की बादशाहत उसके आक्रमण से ही पहचानती जातीं हैं। वरना किसी को भी मालूम नहीं पडता कि शेर ही जंगल का बादशाह है। अपनी दहाड़ और आक्रमण की शैली से सभी जंगली जानवरों को मार देता है और बैखोफ होकर जंगल मे शिकार के लिए घूमता है। लेकिन इन तमाम बातों की जानकारी शेर को नहीं होतीं वरन् मानव उसकी हरकतों को देख उसे जंगल का बादशाह घोषित कर देता है।
काश! शेर को मालूम होता कि वह जंगल का बादशाह है तो निश्चित रूप से वह हमेशा अपनी बादशाहत बरकरार रखने लिए डरता रहता और आक्रमण नहीं करता, केवल दहाड़ कर ही भूखा रह जाता। कारण यदि किसी जंगली जानवरों से हार कर अपनी बादशाहत खो जाने का उसे डर सताता रहता। शेर की यही हरकतें उसकी बादशाहत को छुपा देती।
राजतंत्र में तलवारें और प्रजातंत्र में वोट बादशाह तो बना देते हैं पर उनकी बादशाहत प्रजा तय करतीं हैं। प्रकृति ओर मानवता का रक्षक, जन कल्याणकारी संयम और धैर्य को धारण करने वाला, सभ्यता और संस्कृति का पोषक विज्ञान और कला प्रेमी, दया भाव और क्षमा भाव रखने वाला। अपनी प्रजा को सुखी समृद्ध ओर सुरक्षित रखने वाला। यही गुण उसकी बादशाहत को तय करते हैं।
पौराणिक काल में तवषटा ऋषि देव वर्ग के प्रजापति थे। एक बार देवराज इन्द्र से उनकीं अबबन हो गई और देवराज इन्द्र ने उन्हें प्रजापति पद से हटा दिया। तब तवषटा ऋषि ने एक हवन कुंड से एक पुत्र उत्पन्न किया। उसके तीन सिर थे, वह परम उपासक व साधक था।
एक बार वह तपस्या करने बैठ गया तथा अपने ध्यान में रम गया। इसे देख देवराज इंद्र घबराए और उनका तप भंग करने के लिए अप्सराओं को भेजा लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। तब देवराज इंद्र ने एक दिन उसे तपस्या में बैठे देख उसे मार डाला।
देवराज इंद्र की यह हरकतें देख सभी ऋषि मुनि नाराज़ हुए ओर बोले हे देवराज इंद्र तुम्हारी हरकतों में बादशाहत नहीं है, तुमने एक ध्यान मगन ऋषि को अकारण ही मार डाला।
संत जन कहते हैं कि हे मानव जीवन की बादशाहत व्यक्ति के व्यवहार से तय होती हैं उसके ओहदे व पद से नहीं।व्यवहारों में हीनता, दीनता और मलिनता रखने वाला, बादशाहत से कोसों दूर होता है क्योंकि उसमें बादशाहत की हरकतें नहीं वरन् शैतान की हरकतें ही नजर आतीं हैं इसलिए हे मानव तू अपने व्यवहार से इंसानियत की बादशाहत बना तेरा जीवन सफ़ल हो जाएगा।
सौजन्य : भंवरलाल