नई दिल्ली। मोबाइल से अकाउंट नंबर और ओटीपी पूछकर केवाईसी फॉर्म भरने के बहाने एक बुजुर्ग के दो खातों से लाखों रुपए निकाल लिए गए। मामले की पुलिस और साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है।
मामले में पीड़ित बुजुर्ग व्यक्ति, सुनील मोहन बम्मी को अपने जाल में फंसाने के लिए दीपक मिश्रा नाम के आरोपी ने बुजुर्ग से केवाईसी फॉर्म भरने और पिछला अकाउंट अपडेट करने के बहाने उनका अकाउंट नंबर और ओटीपी पूछ लिया।
इसके लिए आरोपी ने 21 दिसंबर को सुबह 11.16 मिनट पर मोबाइल नंबर 8377893812 पर कॉल किया और सुनील मोहन से 20 मिनट तक बातचीत की।
सुनील मोहन ने जब इस काम के लिए खुद बैंक जाने की बात कही तो आरोपी ने बुजुर्ग व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से बैंक न जाने का निर्देश दिया। इसके बाद आरोपी ने बुजुर्ग व्यक्ति के पंजाब नेशनल बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में दो अकाउंट से लाखों रुपए निकाल लिए।
बुजुर्ग व्यक्ति को इस धोखाधड़ी का पता तब चला, जब वह 23 दिसंबर की शाम एटीएम से पैसे निकालने के लिए गए। अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता लगते ही सुनील मोहन ने अपने सारे कार्ड ब्लॉक करा दिए। धोखाधड़ी के इस मामले की शिकायत सब्जी मंडी पुलिस थाने में की गई है।
मामले में धोखाधड़ी के आरोपी ने अगले दिन 24 दिसंबर को फिर कॉल कर ओटीपी पूछा। इस बार बुजुर्ग की पत्नी सीमा बम्मी ने आरोपी से बातचीत की।
आरोपी ने उन्हें बताया कि वह बैंक से बोल रहा है। इस पर बुजुर्ग की पत्नी ने कहा कि आज तो रविवार है। आज के दिन तो बैंक बंद रहते हैं।
इसके बाद आरोपी ने बात बदलते हुए कहा कि वह अपने कमरे से ही बोल रहा है और इसके तुरंत बाद फोन काट दिया। उसी समय पीड़ित सुनील मोहन ने सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन में फोन किया और ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर को सारी जानकारी दी।
मामले में धोखाधड़ी का शिकार हुआ बुजुर्ग रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी है। ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन का फंडा न समझने और नई तकनीक से वाकिफ न होने के कारण बुजुर्ग व्यक्ति से धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया।
बुजुर्ग ने कहा कि वह तो अपनी गाढ़ी कमाई के पैसे गंवाकर धोखाधड़ी के शिकार हो गए, लेकिन बैंक को ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन की सुरक्षा सुनिश्चित करने और असली और नकली व्यक्ति की पहचान के लिए कोई सिस्टम बनाना चाहिए, ताकि अन्य लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार न बन सके।
आरोपी ने जिन-जिन कंपनियों जैसे पेयू, सीसी एवेन्यू, बिग बाजार, फ्यूचरपी, ईटीटीआईपीआरईपी और एम-पैसा, से ओटीपी के जरिए ट्रांसजेक्शन किया गया था, साइबर सेल ने उन कंपनियों को ई-मेल भेजकर धोखाधड़ी की जानकारी दे दी है।