अजमेर। अयोध्या नगरी में संतगणों के चरण पडते ही जयश्रीराम के उदघोष के साथ 54 अरब हस्तलिखित राम नाम महामंत्रों की महापरिक्रमा का रविवार सुबह विधिवत शुभारंभ हो गया। संतों के सान्निध्य में रामभक्तों ने राम नाम महामंत्रों की प्रथम परिक्रमा कर धर्मलाभ उठाया। शाम ढलते ढलते परिक्रमा स्थल पर रामभक्तों का हुजूम उमड पडा।
अजमेर शहर स्थित आजाद पार्क में बनाई गई अयोध्यानगरी में भक्तगण 16 दिन तक राम नाम मंत्रों की परिक्रमा कर सकेंगे। श्रीराम नाम महामंत्र परिक्रमा समारोह समिति के तत्वावधान और श्री मानव मंगल सेवा न्यास व श्रीराम नाम धन संग्रह बैंक के सहयोग से आजाद पार्क में परिक्रमा का आयोजन 15 जनवरी तक रहेगा।
समिति के सहसंयोजक उमेश गर्ग ने बताया कि भक्तगण प्रतिदिन सुबह 6:15 बजे से रात्रि 8:15 बजे तक परिक्रमा कर सकेंगे। रविवार सुबह परिक्रमा प्रारंभ हो गई। मध्यान्ह 2:30 बजे केशव माधव संकीर्तन मंडल के शिवरतन वैष्णव व साथियों की ओर से सुन्दरकाण्ड पाठ की प्रस्तुति दी गई। शाम 5ः30 बजे नांद गौशाला के संत दिलखुशराम महाराज के प्रवचनों का श्रृद्धालुओं ने लाभ लिया। इसके बाद समाज में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले वरिष्ठ पत्रकार एसपी मित्तल, समाजसेवी लक्ष्मीनारायण हटुका का सम्मान किया गया।
केशव माधव संकीर्तन मंडल के शिवरतन वैष्णव व साथियों की ओर से सुन्दरकाण्ड पाठ की प्रस्तुतिशाम 7:30 बजे महाआरती के दौरान रामभक्तों का हुजूम उमड पडा। इसके बाद कुलदीप चौहान व साथियों द्वारा भगवान राम को समर्पित नृत्य नाटिका ‘रंगीलो राजस्थान’ की प्रस्तुति दी गई। इस कार्यक्रम में शंकर सिंह रावत, भंवरलाल यादव, अजय चौधरी और हरीश पेन वाला यजमान रहे।
विदेशी आक्रांताओं ने किया हमारी संस्कृति से खिलवाड : धर्मराज
शाम के सत्र में आरएसएस के विभाग प्रचारक धर्मराज ने उपस्थित जन के बीच अपने उदबोधन में कहा कि किसी देश की पहचान उसकी सभ्यता, दर्शन और संस्कृति से होती है। खास बात यह होती है कि सभ्यता में बदलाव होता रहता है लेकिन संस्कृति और दर्शन हमेशा मूल रूप में विद्यमान रहते हैं। इस धरती को कई बार विदेशी आक्रांताओं की कुदृष्टि का भाजन बनना पडा है। उन्होंने इसकी संस्कृति को तोडने के लिए के भरसक प्रयास किए। लेकिन इस धरती ने उनको अपने में समाहित कर लिया। संतों की जगाई अलख और आध्यात्मिक जोत के चलते संस्कृति बनी रही।
लेेकिन अंग्रेजों ने इस देश पर आधिपत्य के बाद जो तरीका अपनाया उससे हमारी संस्कृति पर भी आक्रमण का कुप्रयास हुआ। वे कुछ हद तक सफल भी रहे। हमारी शिक्षा पद्धति को बदला गया। हम आजाद भले हो गए लेकिन अंग्रेज हमें मानसिक गुलामी की तरफ ढकेल गए, इसका प्रभाव यह है कि 1 जनवरी को नववर्ष मनाए जाने का चलन पड गया। जबकि सनातन संस्कृति में चेत्र शुक्ल प्रतिपदा को नया साल मनाया जाता रहा है। अंग्रेजों द्वारा देश में जो मानसिक गुलामी के बीज बो दिए गए उससे मुक्ति के लिए संतगणों के प्रयास जारी है, बस इसमें एक आहूति हमें भी देनी है ऐसा संकल्प राम नाम की परिक्रमा कर जरूर करें।
जीते जी राम नाम जपों, लिखों : दिलखुशराम महाराज
राम नाम परिक्रमा के मौके पर रामस्नेही संप्रदाय एवं नांद गौशाला के संत दिलखुशराम महाराज ने उपस्थित भक्तों के बीच भगवान राम की महिमा का बखान करते हुए कहाकि स्वयं को जानने का मार्ग ही राम है। राम नाम के स्मरण मात्र से समस्त देवी देवताओं का वंदन हो जाता है। राम अदभुत शब्द है, यानी राम से बढकर राम का नाम है। धरती, आकाश, पाताल और जीव जंतु सभी में राम विराजते हैं। महाराज ने भक्तों को सीख देते हुए कहा कि जीते जी राम नाम जपों, लिखों, इसे सुनों और सुनाओं। इससे बढकर राम को पाने का और कोई सरल मार्ग नहीं हो सकता। राम नाम जप लें तो जन्मों के पाप मिट जाएंगे। मीरा, रैदास कबीर भक्ति में इतना लीन हो गए कि प्रभु के बिना उन्हें कुछ सूझता ही नहीं था। बस परमात्मा के द्वार पर जाते समय हद्य शुद्ध होना चाहिए। अपने भीतर के राम को जगा लेंगे तो भारत एक बार फिर विश्वगुरु के आसन पर विराजित हो जाएगा।
संतों के सान्निध्य में उदघाटन, रामनाम परिक्रमा शुरू
विश्व में सर्वाधिक विधिवत संकलित हस्तलिखित श्रीराम नामों की परिक्रमा का विधिवत उदघाटन रविवार सुबह 10 बजे संतों के अशीर्वाद के साथ हुआ। हरी सेवा सनातन मंदिर भीलवाडा के महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन ने अध्यक्षता की तथा परमार्थ आश्रम हरिद्वार के अधिष्ठाता स्वामी सर्वेश्वरानंद ने आशीर्वचन से रामभक्तों को निहाल किया। चित्रकूट धाम पुष्कर के अधिष्ठाता पाठकजी महाराज ने रामनाम की महिमा बताई।
मंच के जरिए नृसिंहद्वारा आश्रम आसींद के 108 महंत श्री केशवदास महाराज, हनुमान धाम के संत कृष्णानन्द महाराज, नृसिंह मंदिर महंत श्यामसुन्दर देवाचार्य महाराज, श्री शांतानन्द उदासीन आश्रम पुष्कर के महंत हनुमानराम, भावनगर वाले संत दीपू सांई आदि संतों का सान्निध्य मिला।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पंचायती एवं शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल, राज्यमंत्री एवं अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, उपमहापौर संपत सांखला, जिला प्रमुख सुश्री वन्दना नोगिया आदि मौजूद रहे। उदघाटन समारोह की यजमानी अखिल भारतीय खण्डेलवाल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीचरणदास खण्डेलवाल ने की। समिति के संयोजक सुनील दत्त जैन ने आगन्तुक संतगणों और अतिथियों का स्वागत किया। सहसंयोजक कंवल प्रकाश किशनानी ने धन्यवाद दिया।
परमार्थ आश्रम हरिद्वार के स्वामी सर्वेश्वरानंद महाराज ने अजमेर हो रही 54 अरब हस्तलिखित रामनामों की परिक्रमा को अलौकिक बताते हुए कहा कि दुनिया में भले ही कोई खुद को लखपति तो कोई करोडपति बताता हो, लेकिन अजमेर की जनता तो अरबपति है। वे भक्त धन्य हैं जिन्होंने भगवान राम के नाम को लक्ष्य बनाकर उनका हस्तलेखन किया और जो निरंतर इस कार्य में लगे हैं।
सभी लोग चिंतन और मनन में ईश्वर का स्मरण करते रहें। उन्होंने आशा जताई कि उत्तरप्रदेश स्थित अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने के साथ ही रामराज्य की परिकल्पना मूर्तरूप ले लेगी। उन्होंने अजमेर की धरा को सर्वधर्म सदभाव वाली बताते हुए कहा कि राम नाम की परिक्रमा कराने और इसमें सहयोगी बनने वाले सभी भक्त साधुवाद के पात्र हैं।
हरी सेवा सनातन मंदिर भीलवाडा के महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन ने कहा कि राम तो हमारे हर सांस में विराजित है। राम नाम ही है जिसका जीवन की आखरी सांस तक साथ बना रहता है। राम नाम ही सत्य है। उन्होंने कहा कि जो भी संतों और सनातम धर्म की शरणागत आता है उसका उद्धार हो जाता है।
चित्रकूटधाम पुष्कर के पाठकजी महाराज ने कहा कि यूं तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने अनेक रूप लिए, लेकिन उन सबमें राम नाम सबसे उत्तम माना गया है। इसलिए राम नाम का हस्तलेखन करना तो सीधे भगवान राम को पाने के समान है। राम नाम का अंकन कर लिया तो समझो राम को पा लिया।
श्री शांतानन्द उदासीन आश्रम पुष्कर के हनुमानराम ने कहा कि भगवान राम सदैव अपने भक्तों पर कृपा बनाएं रखते हैं। मैं तो सौभाग्यशाली हूं कि बचपन से मेरा नाम ही हनुमान रखा गया। हनुमान तो भगवान के सबसे प्रिय भक्त रहे हैं। उन्होंने भक्तजनों से 54 बार राम नाम का जप कराया और कहा कि भक्तजन कम से कम 108 बार राम नाम महामंत्रों की परिक्रमा कर पुण्य का लाभ उठाएं।
विशिष्ट अतिथि महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने कहा कि भगवान राम ने पुत्र, पति, सखा, भाई और राजा के रूप में जिस तरह का मर्यादित जीवन जीया वह भक्तों के लिए अनुकरणीय है। हम नववर्ष पर संकल्प लेवें कि भगवान राम के बताएं मार्ग का अनुसरण करते हुए मर्यादित रहेंगे, एक दूसरे के साथ मधुर व्यवहार रखेंगे। राम के जीवन चरित्र को धारण करेंगे।
विशिष्ट अतिथि पंचायत राज एवं शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि अजमेरवासी भाग्शाली हैं कि उन्हें पांचवीं बार श्रीराम नाम महामंत्रों की परिक्रमा का मौका मिला है। राम नाम में सभी ग्रंथों का सार निहित है। उन्होंने कहा कि जो इंसान भगवान और उनके भक्त हनुमान को जो जान ले उसे दुनिया में किसी ओर से जानने और समझने की जरूरत ही नहीं पडेगी। राम नाम ही सर्वश्रेष्ठ अनुभूति है।
उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षामंत्री के रूप में उन्हें कार्य करने जो अवसर मिला है, इस नाते उन्होंने स्प्रीक्च्यूअल का शिक्षा पाठयक्रम में समावेश किया है। क्योकि बिना आध्यात्म के शिक्षा अधूरी है। उन्होंने समस्त राम भक्तों का आहवान किया कि अयोध्या में भव्य रामंदिर जल्द ही बनने की संभावना बन रही है। हजारों लाखों भक्तों भावना अब साकार रूप लेने जा रही है।
अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेडा ने कहा कि अजमेर में रामनाम महामंत्रों की परिक्रमा का अवसर मिलना तो अजमेर वासियों के लिए घर बैठै गंगा आने के समान है। यह अजमेर के लोगों के लिए गर्व की बात है कि इस पावन धरा पर राम नाम लेखन के अलौकिक कार्य की नींव पडी और अब यह विराट धार्मिक कार्य देश से दुनिया तक विस्तार पा चुका है। हजारों की संख्या में रामभक्त नाम नाम का हस्तलेखन कर रहे हैं।
सोमवार 1 जनवरी के कार्यक्रम
मध्यान्ह 2:30 बजे श्री पवनपुत्र मानस मण्डल के लखन सिंह भाटी व साथियों की ओर से सुन्दरकाण्ड पाठ होगा। शाम 5:30 बजे संत कृष्णानन्द महाराज प्रवचनों से श्रृद्धालुओं को निहाल करेंगे। इस दौरान समाज में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले समाजसेवियों सहित अन्य का सम्मान करेंगे। इसके पश्चात महाआरती होगी। महाआरती के बाद शाम 7:30 बजे विविधा-अजमेर कत्थक कला केन्द्र की दृष्टि रॉय व साथियों द्वारा भगवान राम को समर्पित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी जाएगी। इस अवसर पर कार्यक्रम में राजेश सोनी, गोकुल धाम एसीई अमित भंसाली और नितिन शर्मा यजमान रहेंगे। कुल धाम एसीई अमित भंसाली और नितिन शर्मा यजमान रहेंगे।