नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली महिला आयोग द्वारा कुमार विश्वास को जारी किए गए सम्मन पर रोक लगाने से मना कर दिया। आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास को यह सम्मन एक महिला की शिकायत पर जारी किया गया था।
महिला ने आरोप लगाया है कि कुमार विश्वास ने उसके साथ कथित संबंधों की बात खारिज करने से मना कर दिया है, जिसके कारण उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई है।
जज राजीव शकधर ने कहा कि जबतक आप नेता के खिलाफ शिकायत करने वाली महिला को यहां पर मामले में वादी नहीं बनाया जाता, तबतक वह किसी प्रकार का आदेश पारित नहीं कर सकते।
कोर्ट में विश्वास की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें उन्होंने कहा है कि डीसीडब्ल्यू को इस शिकायत का निपटारा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
मामले की अगली सुनवाई की तिथि 22 मई निर्धारित करते हुए न्यायाधीश शकधर ने कहा कि मैं इस मामले में तब तक आगे की कार्यवाही नहीं कर सकता जब तक कि प्रभावित व्यक्ति को इस याचिका से नहीं जोड़ा जाता।
कोर्ट ने कहा कि महिला ने डीसीडब्ल्यू से अपनी शिकायत वापस नहीं ली है, इसीलिए उसे यहां पर याचिका में शामिल किया जाना चाहिए। आप उसे यहां पर वादी बनाए बिना याचिका को आगे कैसे बढ़ा सकते हैं।
विश्वास की ओर से न्यायालय में पेश होते हुए आप के सदस्य और वकील सोमनाथ भारती ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से सम्मन जारी किया गया है और सम्मन जारी करने का फैसला डीसीडब्ल्यू के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
उन्होंने कहा कि डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष बरखा सिंह ने राजनीतिक प्रतिशोध के चलते उन्हें सम्मन जारी किया है। विश्वास की याचिका में यह भी मांग की गई थी कि महिला को सार्वजनिक रूप से बयान देने से रोका जाए। शिकायतकर्ता महिला आप की कार्यकर्ता है।
आप ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। शिकायत करने वाली महिला ने 2014 के आम चुनाव में अमेठी लोकसभा क्षेत्र में कुमार विश्वास के चुनाव प्रचार में भाग लिया था। उसने कथित संबंधों को लेकर कुमार विश्वास से सार्वजनिक रूप से अफवाह खारिज करने के लिए कहा था। महिला ने बाद में डीसीडब्ल्यू में शिकायत की थी जिसके बाद विश्वास को सम्मन भेजा गया था।