नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अगुआई वाली समिति ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों से विभिन्न मुद्दों पर 80 से अधिक सवाल किए हैं।
इन सवालों में हितों का टकराव, ऑडिट, खाते, वित्त और पारदर्शिता जैसे मुद्दे शामिल हैं। इस समिति को बीसीसीआई में प्रशासनिक सुधार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। समिति में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश लोढ़ा के अलावा सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक भान और आरवी रवींद्रन शामिल हैं।
समिति द्वारा सवालों की फेहरिस्त बीसीसीआई के आला अधिकारियों को भेजी गई है। हितों का टकराव शीर्षक के अंतर्गत एक सवाल पूछा गया है कि जब आईपीएल टीम का एक खिलाड़ी या टीम अधिकारी फ्रेंचाइजी के साथ काम करता हो या अन्य टीम का मालिक हो तो क्या बीसीसीआई इसे हितों का टकराव मानता है।
ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? जवाब में कहा गया है, इंडिया सीमेंट्स-सीएसके-एन श्रीनिवासन के संदर्भ में हितों के टकराव के मौजूदा मामले के सामने आने के बाद ही बोर्ड में इस तरह के मनमाने रवैये का पता चला है।
नहीं मिला जवाब
इस मुद्दे पर दो ऐसे सवाल हैं जिनका कोई जवाब नहीं दिया गया है। पहला सवाल यह है कि बीसीसीआई-आईपीएल और संबंधित पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं कि इन संस्थाओं को चलाने वालों और इसके पेशेवर प्रबंधन से जुड़े लोगों के बीच हितों का टकराव नहीं हो। उपरोक्त के संदर्भ में सूचना छुपाने पर किस तरह की सजा का प्रावधान है।
दूसरा सवाल ये है कि क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं कि हितों का टकराव नहीं हो और बोर्ड-आईपीएल प्रतिनिधियों के रिश्तेदारों-सहयोगियों को इन अनुबंधों के लिए नहीं चुना जाए।