नई दिल्ली। राजधानी में उपराज्यपाल एवं केंद्र के साथ प्रशासनिक जंग को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली सरकार आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन की बैठक में शामिल होने वाले सभी अफसरों को केंद्र सरकार को वापस लौटाएगी।
सरकार के आदेश की मुखालफत करने पर 35-40 आईएएस अफसरों के खिलाफ यह अहम फैसला लिया गया है जिसमें वह अधिकारी भी शामिल है जिन्होनें केजरीवाल और उपराज्यपाल की लडाई से दूर रहने के लिए छुट्टी की अर्जी दी थी।
हालांकि सरकार ने यह दलील दे कर खुद को बचाने कि कोशिश की है कि उसके पास आवश्यकता से अधिक अफसर है इसलिए अगर कुछ कम भी हो जाएगें तो फर्क नही पड़ेगा।
केजरीवाल अपनी नई रणनीति के तहत भारतीय प्रशासनिक सेंवाओं के अधिकारियों पर निर्भर ना हो कर दानिक्स (दिल्ली, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा) के अधिकारियों से काम लेंगे।
पर यहां सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में अफसरों को हटाने के बाद दिल्ली सरकार प्रशासनिक काम कैसे करेगी और इन अफसरों की जगह कौन लेगा। एक प्रश्न यहां यह भी उठता है कि क्या केंद्र सरकार इन अधिकारियों को वापस लेने के लिए तैयार हो जाएगी और अगर हां तो इनकी तैनाती किस प्रकार और कहां होगी। इस तरह के कई प्रश्न है जो कि एस समस्या को और भी जटील बना रहें है।
केजरीवाल ने प्रशासनिक अधिकारों के स्पष्टीकरण की दिशा में सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ वकीलों की सलाह भी ले रहे है और सुत्रों के अनुसार ग्रह मंत्रालय से जारी अधिसुचना के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते है। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने ने गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया है।
केजरीवाल ने इस मामले पर उनकी रॉय मांगी थी। उन्होंने दिल्ली सरकार को भेजी चिट्ठी में लिखा है, मुझे उम्मीद है कि यह अधिसुचना राष्ट्रपति की अनुमति के बिना ही जारी हुआ है, ऐसे में यह असंवैधानिक है। दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार ने ऐसे अफसरों की लिस्ट बनानी शुरू कर दी है, जो उसे नहीं चाहिए।
इससे पहले ग्रह मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए अधिसुचना पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग का धंधा चलाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि पिछले तीन महीने में दिल्ली सरकार ने 36 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है जबकि 152 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। इसके चलते सभी डरे हुए हैं। ग्रह मंत्रालय ने एक अधिसुचना में उपराज्यपाल को दिल्ली में अफसरों की तैनाती जमीन, कानून एवं व्यवस्था के अधिकार को दिये हैं।
वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि अधिसूचना से साफ है, “दिल्ली की ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्ट्री हमसे कितनी डरी हुई थी। इसके जरिए ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्ट्री को बचाने की कोशिश की जा रही है।
आप पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने संगठन पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह तब क्यों कुंभकर्ण की तरह सोती रही, जब केंद्र द्वारा वरिष्ठ अफसरों को एक-एक करके हटाया जाता रहा।