जोधपुर। मंद बुद्धि बालिका से दुष्कर्म कर उसे मार डालने वाले हैवान रूपी इंसान को राजस्थान उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा देने पर अपनी मोहर लगा दी है।
उच्च न्यायालय की मुख्यपीठ ने दुष्कर्मी व हत्यारे मनोज प्रताप सिंह को फांसी की सजा के राजसमंद सेशन न्यायालय के आदेश की पुष्टि की है।
सेशन कोर्ट ने यह आदेश एक अक्टूबर 2013 को दी थी। वरिष्ठ न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश जयश्री ठाकुर ने राजसमंद सेशन कोर्ट के आदेश की पुष्टि के लिए भेजे गए मर्डर रेफरेंस की सुनवाई कर यह आदेश दिया।
सरकारी वकील जेपी भारद्वाज ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस करार देते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखने का अाग्रह किया।
गौरतलब है राजसमंद में 17 जनवरी 2013 को यह इंसानियत को हिला देने वाली वारदात हुई थी। आठ साल की मंद बुद्धि बालिका के माता.पिता फल बेचते हैं।
मुजरिम मनोजप्रतापसिंह उनकी दुकान पर गया और उसने वहां बालिका को देखा। उसने बालिका को चॉकलेट दी और वहां से चला गया।
कुछ देर बाद वह वापस आया और बालिका को फुसला कर अपने साथ मोटर साइिकल पर बिठा कर ले गया। उसने सुनसान स्थान पर ले जाकर बालिका के साथ मुंह काला किया और उसे मार डाला।
बालिका का शव मिलने पर पुलिस ने दुष्कर्मी हत्यारे की तलाश शुरू की। जांच के बाद मनोजप्रतापसिंह को गिरफ्तार कर लिया।
उसके खिलाफ बालकों को यौन अत्याचारों से संरक्षण के विशेष न्यायालय में भारतीय दंड संहिता की धारा 363ए 365ए 376 और 302 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया।
अन्वीक्षा के बाद पीठासीन अधिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने दुष्कर्मी हत्यारे को फांसी की सजा सुनाई।