नई दिल्ली। स्वीडन और बेलारूस की 5 दिवसीय यात्रा पर रवाना होने से पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी।
भूमि अधिग्रहण के बारे में मुखर्जी ने पिछले 6 माह के भीतर 3 बार अध्यादेश जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को कानून के रूप में परिवर्तित कराने में विफल रही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भूमि अधिग्रहण के बारे में दोबारा अध्यादेश जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
बैठक के बाद केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया था कि निरंतरता को बनाए रखने के लिए अध्यादेश को जारी करना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की उन 13 कानूनों के तहत हाल में भूमि का अधिग्रहण किया था तो उन्हें मुआवजा देने का इसमें प्रावधान किया गया है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अध्यादेश को दोबारा जारी करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। भूमि अधिग्रहण के बारे में तीसरी बार अध्यादेश जारी किया गया है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पिछले साल सत्ता में आने के बाद से यह 13वां कार्यकारी आदेश है।
पिछले साल दिसंबर में पहली बार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार कानून 2013 में संशोधन करने के लिए अध्यादेश को जारी किया गया था।
इस साल संसद के बजट सत्र के पहले चरण में सरकार इसे एक विधेयक के रूप में लेकर आई जिसे लोकसभा ने 10 सरकारी संशोधनों के साथ पारित कर दिया, लेकिन राज्यसभा में सरकार का बहुमत न होने के कारण वह इसे वहां पेश नहीं कर पाईं।
20 मार्च को संसद के दोनों सदन एक महीने के लिए स्थगित हो गए थे। अध्यादेश की अवधि 5 अप्रेल को समापत हो रही थी तो सरकार ने राज्यसभा का सत्रावसान करके इसे दोबारा संशोधनों को शामिल करके जारी करावाया गया।
दोबारा अध्यादेश जारी किए जाने के बाद सरकार ने इसे फिर से लोकसभा पेश किया लेकिन इस बार संसद की एक सदस्यीय संयुक्त समिति के पास जांच करने के लिए भेज दिया गया। इस समिति में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य है।
लोकसभा के सदस्य एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री एस एस अहलुवालिया इसके सभापति है। समिति अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को मानसून सत्र के प्रथम कार्यदिवस के दिन अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।