गिरिडीह। हिन्दी के शब्दकोष में बेवकूफ एक ऐसा शब्द है जिसका अभिप्राय मूर्खता माना जाता हैं। लेकिन प्रदेश के गिरिडीह में यह शब्द मूर्खता नहीं अपितु दर्जनों लोगों की आजीविका का माध्यम है।
यहां बेवकूफ होटल एक जाना-माना नाम है। 1970 के दशक में गिरिडीह देश के मानचित्र में अबरख उद्योग के लिए जाना जाता रहा हैं। लेकिन आज गिरिडीह आने वाले अनेक लोगों को जिला मुख्यालय में स्थित बेवकूफ होटलों की श्रंखला बरबस अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
गिरिडीह आने वाले लोग एक बार बेवकूफ होटल में भोजन करने की इच्छा को दबा नहीं पाते हैं। आज शहर में बेवकूफ होटलों की संख्या आधा दर्जन पार कर गयी है। जिले के कई अन्य क्षेत्रों में भी बेवकूफ होटल खुलने की चर्चा हैं।
कभी 40 पैसे में मिलता था दाल-भात सब्जी और चोखा
गिरिडीह में बेवकूफ होटल की शुरुआत और इसकी प्रसिद्धि का इतिहास भी दिलचस्प है। सर्वप्रथम सत्तर के दशक में गोपी राम ने फुटपाथ पर होटल की शुरूआत की थी। उस दौरान महज चालीस पैसे में ग्राहकों को दाल-भात, सब्जी, चोखा, ग्राहकों को परोसा जाता था।
कचहरी के समीप होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले और अबरख कारखानों में काम करने वाले लोग बड़ी संख्या में दोपहर का भोजन बेवकूफ होटल में ही किया करते है। दोपहर में खाने वाले की इतनी अधिक भीड़ हो जाती थी और कुछ लोग भोजन करने के बाद बगैर पैसा दिए ही खिसक जाते और कहते है कि दुकानदार बेवकूफ है।
भीड़ में कई लोगों से पैसा नहीं ले पाता है। बताते है कि गोपीराम ने प्रारम्भ में अपनी फुटपाथी होटल का कोई नाम नहीं रखा था। जब गोपीराम को यह पता चला कि उन्हें कुछ लोग बेवकूफ कहते है तो एक दिन होटल में बेवकूफ होटल का साईन बोर्ड लगा दिया और फिर यह नाम पूरे शहर में न केवल चर्चित हुआ बल्कि टेªडमार्क बन गया।
लोकप्रियता के बाद खुल गया है बेवकूफ रेस्टोरेंट
1975-76 के दौरान गिरिडीह में जब अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चला तब बेवकूफ होटल को भी फुटपाथ से हटा दिया गया। बाद में पास में ही एक छोटी से दुकान किराए पर लेकर गोपीराम होटल चलाने लगे। आज भी उसी स्थल पर नये भवन में बेवकूफ होटल चल रहा है। जबकि शहर के कई अन्य क्षेत्रों में भी इस के नाम से लोग होटल चला रहे हैं।
होटल के संचालक प्रदीप कुमार राम कहते है कि अब 25 रूपये में चावल-दाल, सब्जी, चोखा दिया जाता हैं। होटल की दाल-रोटी और खीर लोग चाव से खाते हैं। बेवकूफ होटल के संस्थापक रहे स्व. गोपीराम के परिजनों का कहना है कि कई अन्य लोग भी इसी नाम से होटल खोलकर आजीविका चला रहे हैं। लेकिन उन्हें कोई आपति नहीं है।
परिजन इस बात से खुश हैं कि उनके पूर्वजों का दिया गया नाम आज सिर्फ टेªडमार्क ही नहीं हैं बल्कि देश के कई हिस्सों से आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र है। अब तो बेवकूफ होटल के अलावा बेवकूफ रेस्टोरेंट भी खुल गया है। जिसकी मेन्यू में लजीज व्यंजन शामिल है।
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