नई दिल्ली। मैगी नूडल्स में स्वास्थ के लिहाज से हानिकारक तत्व पाए जाने के बाद उपजे विवाद पर नेस्ले मामले के डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
नेस्ले के ग्लोबल सीईओ पॉल बुल्क ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर दावा किया कि हमारी जांच में मैगी नूडल्स पूरी तरह सुरक्षित है। ग्राहकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और पूरी दुनिया में सुरक्षा का एक ही मानक है। लेड और एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) की मात्रा तय सीमा से अधिक होने के मसले पर सीईओ पॉल बुल्क ने स्पष्ट किया कि कंपनी मैगी में एमएसजी नहीं डालती है । हालांकि उन्होंने कहा कि नूडल्स में ग्लूटामेट हो सकता है।
नेस्ले के सीईओ पॉल बुल्क ने कहा कि जांच के तरीके को लेकर कन्फ्यूजन है। हमारे 1,000 बैच की जांच में कोई खराबी नहीं निकली है। उन्होंने मैगी नूडल्स की भारतीय लैब में हुई जांच पर सवाल तो नहीं उठाया लेकिन यह जरूर कहा कि लगता है कि मैगी के सैंपल की सरकारी लैब में अलग तरीके से जांच की गई है । हम सभी सरकारी आंकड़ों की पड़ताल करेंगे। देश में टेस्टिंग मैथड के ऊपर भारतीय एजेंसी के साथ संपर्क में हैं । हम मैगी पर थर्ड पार्टी स्वतंत्र टेस्ट करा रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में सरकारी जांच के लिए तैयार हैं। सरकार ने अभी तक मैगी टैस्टिंग मैथड की जानकारी नहीं दी है।
मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल हो गया है, जिन्होंने अपने यहां मैगी को बैन कर दिया है । प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए शुक्रवार को मैगी की बिक्री पर राज्य में प्रतिबंधत कर दिया है । अब प्रदेश में न तो कोई दुकानदार मैगी बेच सकेगा और न ही कोई खरीद सकेगा । मध्यप्रदेश सरकार ने जांच सैंपल में गड़बड़ी पाए जाने के बाद यह निर्णय लिया है । इस बात की पुष्टि स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है ।
उन्होंने बताया कि खाद्य विभाग ने प्रदेशभर में विभिन्न जगहों से मैगी के सैंपल इकट्ठे किए गए थे, जिनकी इंदौर की लैब में जांच की गई। मुख्यमंत्री ने बताया कि जांच के दौरान मैगी में हानिकारक रसायन होने की पुष्टि हुई है, जबकि पैकेज पर इसकी मात्रा नहीं होने की बात लिखी हुई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जब तक स्थिति साफ नहीं हो जाती, तब तक पूरे मध्यप्रदेश में मैगी पर प्रतिबंध लगाया गया है।
उल्लेखनीय है कि हानिकारक रसायन मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर, केरल, दिल्ली, गुजरात व उत्तराखंड राज्यों ने नमूनों की जांच के बगैर ही मैगी की बिक्री पर अस्थाई पाबंदी लगा दी है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने आज जांच की रिपोर्ट आने के बाद हानिकारक रसायन की पुष्टि होने पर पूरे राज्य में बैन लगाया है । इसके बाद इस मामले पर अपनी राजनीति चमकाने वाली कांग्रेस नेताओं के मुंह भी बंद हो गए हैं, जो राज्य सरकार का पुतला दहन कर जगह-जगह उपद्रव मचा रहे थे ।
बता दें कि खाद्य अमले ने भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के कई स्थानों से मैगी के नमूने लिए थे, जिनकी जांच में हानिकारक लेड व मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिलने की पुष्टि हुई है। लेड एक खतरनाक पदार्थ है, जिसमें पायजनिकं होने के खतरनाक परिणाम होते हैं। इससे बच्चों में बुद्धि का विकास रूक जाता है। यह पूरे नर्वस सिस्टम को अवरूद्ध कर देता है । राज्य सरकार ने मानव स्वास्थ्य पर पडऩे वाले खतरनाक प्रभावों को देखते हुए मैगी पर बैन लगाया है ।
बिहार में भी मैगी की जांच रिपोर्ट सरकार को मिल गयी है । जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आज सरकार ने इसपर एक माह के लिए सेल और रिटेल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है । खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने आज सचिवालय में पीसी कर उक्त बातें कहीं।
खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने कहा कि अगले तीन दिनों में बिहार के अन्य सभी जिलों से अलग-अलग सैंपल लेकर उसे जांच के लिए भेजा जाएगा । इस जांच का प्रतिवेदन प्राप्त होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी । तब तक एक माह के लिए मैगी के मार्केटिंग, रिटेल और सेल पर प्रतिबंध रहेगा। किसी भी प्रकार से मैगी का प्रचार प्रसार नहीं किया जाएगा ।
दूसरी तरफ लगातार पूरे देश में मैगी के सैम्पल में तय सीमा से ज्यादा लेड की मात्रा पाया जाने और कई राज्यों मों इसके बैन होने के बाद नेस्ले ने बाजार से मैगी का सारा माल वापस लेने का बड़ा फैसला किया है । हालाकि नेस्ले ने दावा किया है कि मैगी पूरी तरह से सुरक्षित है लेकिन मामला शांत होने तक वे बाजार में माल नहीं उतारेंगे ।
वहीं दूसरी और भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी ये साफ कर दिया है कि दिल्ली और केरल सरकार की रिपार्ट में मैगी नूडल्स में लेड की मात्रा पाई गई है । साथ ही एफएसएसएआई ने दूसरे राज्यों से भी जल्द रिपोर्ट तलब किया है।
वहीं ब्रांड और कम्युनिकेशन एक्सपर्ट मानते हैं कि मैगी का मामला कम्युनिकेशन फेलियर का एक सही उदाहरण है । विवादों में पड़ने के बाद मैगी का कंज्युमर और अपने स्टेकहोल्डर से कम्युनिकेट नहीं करना ब्रांड की सबसे बड़ी गलती है । उनका कहना है कि इसी से मैगी को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है । अगर कंपनी पूरे मामले को थोड़ा पारदर्शी तरीके से डील करती तो चाहने वालों का भी सपोर्ट मैगी के साथ होता ।
गौरतलब हो कि दो सप्ताह पूर्व उत्तर प्रदेश में मैगी के सैम्पल की जांच के बाद इसमें लेड की मात्रा पाई गयी थि जिसके बाद दिल्ली, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु और नेपाल में भी मैगी की बिक्री पर रोक लग गई है ।
मैगी से होने वाले 10 सबसे बड़े नुकसान, बर्बाद हो सकती हैं पीढ़ियां
लेकिन जो लेड यानि एमएसजी मैगी में पाया गया है उसके अधिक इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में जानना आपके लिए काफी अहम है। खून की कमी हो सकती है, जोड़ो में समस्या होती है, सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है, याददाश्त कमजोर होती है, किडनी को भी नुकसान पहुंचता है, लीवर पर खतरा बढ़ जाता है, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर आ सकता है, सुनने की समस्या किसी चीज़ पर ज़्यादा देर तक ध्यान न दे पाना, लेड से होने वाले नुकसान का असर काफी सालों पर दिखना शुरु होता है।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक लेड की थोड़ी सी भी अधिक मात्रा का इस्तेमाल करने से आपके आईक्यू आपके व्यवहार और आपकी सीखने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है । इसीलिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इसके संपर्क में आने से रोकने की सलाह दी जाती है। सरकारी तंत्र की नाक के नीचे बिकती रही दशकों से मैगी लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगर सदियों से मैगी सरकार की नाक के नीचे बिकती रही है तो इससे हमारी पीढ़ियों को कितना नुकसान हुआ होगा। इसकी बिक्री सरकारी मशीनरी पर बड़ा सवालिया निशान लगाती है।