पुणे। महात्मा गांधी के हत्यारे “नाथूराम गोडसे” पर बनी फिल्म “गोडसे” को पर्दे पर प्रदर्शित करने के लिए पुणे की अदालत ने रोक लगा दी हैं। इस फिल्म पर रोक लगाने का मुख्य कारण लोगों को सांप्रदायिक आधार पर उकसाना बताया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता “हेमंत पाटिल” ने याचिका दायर करके अखिल भारतीय हिन्दू महासभा द्वारा बनाई गई फिल्म पर पाबंदी की मांग की थी। फिल्म का नाम “देश भक्त नाथूराम गोडसे” रखा जाने का प्रस्ताव है।
फिल्म “गोडसे” के निर्माता डॉ संतोष राय हैं जो ब्रह्मर्षि फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म में नाथूराम गोडसे के जीवन के वास्तविक सच और अनछूए पहलूओं को सामने लाया गया हैं जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं। डॉ संतोष राय का कहना है कि गांधी की हत्या तो गोडसे के जीवन में आखिरी बात थी, उसके अलावा भी गोडसे ने बहुत लंबा जीवन जिया।
राय के मुताबिक, गोडसे एक ऐसा नाम है जिसको सुनते ही आम आदमी के जहन में सिर्फ एक ही उत्तर आता है और वह है – गाँधी का हत्यारा। हमारे देश में नाथूराम गोडसे का इतिहास सिर्फ “गाँधी का हत्यारा” इसी नाम की पंक्ति में कैद होकर रह गया है, लेकिन आज तक यह किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं की, कि नाथूराम गोडसे कौन था, कहां का था और कैसे था। यहां तक की गोडसे का असली नाम क्या था और उसका गोडसे नाम क्यों पड़ा।
‘गोडसे’ फिल्म में इन्हीं सारी बातों को पूरी सच्चाई के साथ देश के समक्ष पेश किया गया हैं। निर्माता डॉ संतोष राय का कहना है कि इस फिल्म को देखने के बाद लोग गांधी की हत्या के अलावा भी गोडसे के जीवन को पहलुओं को समझेंगे। पहले यह फिल्म 30 जनवरी 2015 को पर्दे पर उतारी जानी थी लेकिन अभी तक सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं हुई है।