नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ‘भाजपा’ के लिए सबसे बडी परेशानी अन्दरूनी गुटबाजी है। चुनाव के दौरान भी यह गुटबाजी अपने चरम होगी।
केन्द्रीय नेतृत्व के समक्ष सबसे बडी परेशानी इस गुटबाजी को समाप्त करना है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा प्रधानतमंत्री भी इसे समाप्त नहीं कर सके।
पार्टी के अन्दर गुटबाजी का ही नतीजा है कि बेहतर स्थिति में होने के बाद भी चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा इसका पत्ता नहीं खोल रही है।
वैसे तो बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी अपने को मुख्यमंत्री उम्मीदवार मान चुकें है। वहीं पूर्व मंत्री और गया से विधायक डा.प्रेम कुमार ने भी अपने को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बता चुके हैं।
उधर अन्दर खाने नन्द किशोर यादव, सीपी ठाकुर, गिरिराज सिंह, शाहनवाज हुसैन भी मुख्यमंत्री बनने के सपने पाल रखे हैं।
वहीं बिहार प्रदेश भाजपा के प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने कहा कि पार्टी में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार को लेकर कोई समस्या नहीं है। अन्दरूनी गुटबाजी से भी उन्होंने इंकार किया।
उन्होंने कहा कि पार्टी विधानसभा का चुनाव किसी एक व्यक्ति के चेहर पर नहीं सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लडेगे। सिटों के बंटवारे पर उन्होंने कहा कि अभी इसपर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव के प्रभारी केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार ने पटना में कहा था कि विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही भाजपा का चेहरा होंगे।
कुमार के बयान के तुरंत बाद ही पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का बयान आया की बिहार में चुनावी चेहरा घोषित करेगी भाजपा। बताते चलें कि बिहार भाजपा में सबसे अधिक विरोध सुशील मोदी का ही है।