अखण्ड सुहाग की कामना के लिए महिलाएं शनिवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी। पति की दीर्घायु के लिए चंद्रमा निकलने के बाद ही जल ग्रहण करेंगी। जयुपर में चंद्रोदय रात 8.25 बजे होगा। तृतीयायुक्त चतुर्थी में आने वाला यह व्रत शुभदायक रहेगा। ज्योतिषियों की मानें तो सुबह 10.19 बजे तक तृतीया तिथि तथा उसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी।…
ऎसे करें पूजन
ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रमोहन दाधीच के अनुसार मिट्टी, धातु या शक्कर का करवा, कुमकुम, चावल, सुपारी, दुर्वां गुड़ गेहंू, पचरंगी धागा, लाल कपड़ा, सुहाग सामग्री, लकड़ी की चौकी पर रखें। चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, गेहंू की ढेरी बनाकर उसपर करवा रखें। इसके बाद गणेशजी एवं करवे का पूजन करें। करवा चतुर्थी की कथा पढ़ें, चंद्रमा का दर्शन -पूजन कर अघ्र्य देवें और आरती करें। चंद्रमा से पति की दीर्घायु की प्रार्थना करें।
महत्व: कलश, चंद्र और निर्जल व्रत
करवा का अर्थ कमण्डल है। यह भगवान ब्रह्मा के हाथ में होता है। यह संकल्प का प्रतीक कहलाता है। चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा से दाम्पत्य में सुख, शांति और सामंजस्य रहता है। कुल 12 चतुर्थियों में से 11 में सूर्योदय से चंद्रोदय के बीच निराहार व्रत किया जाता है । जबकि करवा चौथ में निराहार के साथ निर्जल रहकर व्रत का विधान है।