गुवाहाटी। असम में बीते तीन कार्यकाल से सत्ता की बागडोर संभालने वाली सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस वर्तमान में अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी का भट्ठा बैठाने वाले बाहर के नहीं उनके घर के ही नेता हैं। बीते शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और चार बार के विधायक रहे हिरण्य बोरा ने सीधे प्रदेश अध्यक्ष अंजन दत्त पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें अल्प शिक्षित, शारदा घोटाले में आरोपित होने की आशंका से घिरे और कई तरह की टिप्पणी की।
नाराज प्रदेश अध्यक्ष ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर बोरा को अपनी हरकत से बाज आने की चेतावनी दे डाली।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस और उसकी सरकारी में गुटबाजी नहीं हनी हैं। आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में किसी वरिष्ठ नेता के खिलाफ एपीसीसी के सारे प्रवक्ता इस तरह से खुली चेतावनी देते नहीं दिखे।
घटना की शुरुआत पहले वरिष्ठ नेता हिरण्य बोरा ने की। पत्रकारों के सामने उन्होंने अध्यक्ष अंजन दत्त की शैक्षिक योग्यता को लेकर सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा केवल मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के नजदीक होने के कारण अंजन दत्त हाउस फेड के अध्यक्ष होते हुए भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज हैं।
हाल ही में अंजन दत्त के हवाले से मीडिया में कथित तौर पर से बोरा समेत कई कांग्रेसियों को बड़े-बड़े अपराधियों की संज्ञा दी गई थी। वरिष्ठ कांग्रेसनी नेता के मुताबिक वे मंत्री पद के लोलपु नहीं हैं। बल्कि संगठन के काम में रुचि के कारण भी यह आफर ठुकरा भी चुके हैं। अंजन दत्त को शायद यह नहीं मालूम है।
उन्होंने कहा कि अंजन जब राज्य की राजनीति का ककहरा सीख रहे थे तब वे इसमें पारंगत हो चुके थे। अपने प्रदेश अध्यक्ष पर ठेकेदार की भाव भंगिमा वाला होने का ठप्पा लगाते हुए अपनी यह शैली राजनीति में भी अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने दत्त की विवादित शैक्षिक योग्यता का भी मुद्दा उठाया।
बोरा के अनुसार दत्त को शारदा चिट फंड घोटाले में सीबीआई अबियुक्त बनाती है तो आगामी विधानसभा चुनाव के पहले यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। बोरा के इस बयान के फौलन बाद एपीसीसी अध्यक्ष के निर्देश पर तेजी से सक्रिय हुई प्रदेस कांग्रेस ने करारा पलटवार किया।
वरिष्ठ मीडिया प्रवक्ता मेहंदी आलम बोरा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पक्ष में सफाई देते हुए हिरण्य बोरा को ऐसा बयान न देने की नसीहत दे डाली। कुल मिलाकर कांग्रेस के अंदर कई ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जिनका मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष से छत्तीस का आंकड़ा है।