जयपुर। राजस्थान में जल्द ही पानी की दरें बढ सकती है। जलदाय विभाग ने पानी की दरों में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया है, हालांकि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।
अभी प्रदेश में पानी की दर 15 किलोलीटर तक 1.25 रुपए प्रति किलोलीटर और 15 से 40 किलोलीटर पर 2.40 रुपए प्रति किलोलीटर है जो देश में सबसे कम है। प्रदेश में 12 नवंबर 1997 के बाद पानी की दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
1997 से पहले एक रुपए किलोलीटर की दर थी जिसे 1997 में बढ़ाया था, उसके बाद पिछले 18 साल से वही दरें चलती आ रही हैं। प्रदेश में पेयजल का ऑपरेशन एंड मेंटीनेंस पर सालाना 1862 करोड रुपए का खर्च आता है, जबकि पानी के बिल से 217 करोड रुपए की आय हो रही है।
पेयजल सप्लाई में अकेले बिजली बिल पर ही सालाना 875 रुपए का खर्च आ रहा है, जलदाय विभाग अब धीरे धीरे इस गैप को कम करने की रणनीति बना रहा है। राज्य की जलनीति में भी यह प्रावधान है कि पेयजल पर होने वाला सालाना खर्च टेरिफ से वसूला जाए।
अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 1982 में पेयजल के खर्च का 55 फीसदी बिजली बिल से वसूल होता था, जबकि 1998 में यह आंकडा 20 फीसदी और अब यह 11 फीसदी पर आ गया है। जलदाय विभाग की रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा समय में पानी पर लगभग 90 फीसदी सब्सिडी है, इसका फायदा अमीर लोग ही ज्यादा उठाते हैं।
पानी का ज्यादा उपभोग बड़े मकानों वाले, अमीर और व्यापारिक कामकाज में होता है जबकि गरीब आदमी को इसका फायदा कम मिलता है। ऐसे में जलदाय विभाग ज्यादा पानी खर्च करने वालों से ज्यादा बिल वसूलने का प्रावधान भी करने पर विचार कर रहा है।