नई दिल्ली। ललित प्रकरण को लेकर छिड़े विवाद में उस समय नया मोड़ आ गया, जब कांग्रेस ने धौलपुर महल को सरकारी संपत्ति बताते हुए राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर ललित मोदी के साथ मिलकर उस पर कब्जा करने का आरोप लगाया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इसे आधारहीन बताते उसे सिद्ध करने की चुनौती दी।
राजे के इस्तीफे की लगातार मांग कर रही कांग्रेस ने वसंधुरा और मोदी के कारोबारी रिश्तों को आज नया रंग देते हुए आरोप लगाया कि दोनों ने मिलकर सरकारी सम्पत्ति धौलपुर महल पर गैरकानूनी रूप से जबरन कब्जा कर उसे लक्जरी होटल में बदला और अब इन दोनों के स्वामित्व वाली कम्पनी इसे चला रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि राजे और ललित मोदी दोनों ‘बिजनेस पाटर्नर’ हैं और उनकी संयुक्त निवेश वाली कंपनी नियन्त हेरिटेज होटल प्राइवेट लिमिटेड ने 2009 के बाद से सरकारी सम्पत्ति धौलपुर महल पर कब्जा किया हुआ है और इसे आलीशान होटल में परिवर्तित किया है।
इस सरकारी सम्पत्ति से राज्य सरकार को कोई राजस्व भी नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ राजे के बचाव में उतरे राजस्थान भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी और संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने इस आरोप को निराधार बताया और कांग्रेस को इसे सिद्ध करने की चुनौती दी।
उन्होंने इसे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की छवि धूमिल करने का प्रयास बताते हुए कहा कि धौलपुर महल पार्टी सांसद दुष्यंत सिंह की संपत्ति है। उन्होंने इस संबंध में उनके मालिकाना हक के कई दस्तावेज भी पेश किए और कहा कि सच्चाई की जड़े मजबूत है जबकि झूठ के पैर नहीं होते हैं।
इस संबंध में उदाहरण देते हुए परनामी ने कहा कि 2010 में करीब 567 वर्गगज जमीन के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण ने दुष्यंत सिंह को लगभग एक करोड़ 97 लाख रुपए के मुआवजे का भुगतान किया था। दुष्यंत सिंह यदि मालिक नहीं थे तो संप्रग सरकार के समय उन्हें मुआवजा क्यों दिया जाता।