धौलपुर। दिल्ली से लेकर जयपुर तक धौलपुर के ऐतिहासिक सिटी पैलेस पर इन दिनों सियासत की जा रही है। कांग्रेस दिल्ली में सिटी पैलेस के मालिकाना हक को लेकर सवाल उठा रही है,वहीं भाजपा जयपुर में इसका जबाब दे रही है। लेकिन धौलपुर में इस मामले में शांति है।
कांग्रेस से लेकर भाजपा तक चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं आम आदमी को इस मसले में कोई रुचि नहीं है। हालांकि मालिकाना हक को लेकर धौलपुर की आवाम राज परिवार के साथ में है।
धौलपुर सिटी पैलेस के अतीत पर गौर करें, धौलपुर रियासत के राजा निहालसिंह के पुत्र राजा रामसिंह ने 19 वीं सदी में सिटी पैलेस का निर्माण कराया था। राजा रामसिंह की अल्पायु में निधन होने के बाद में उनके छोटे भाई उदयभान सिंह राजा बने।
कालातंर में राजा उदयभान सिंह की मृत्यु के बाद में उनकी पुत्री राजाबेटी उर्मिलादेवी के पुत्र हेमंतसिंह को वारिस बनाया गया। महाराजा हेमंत सिंह का विवाह ग्वालियर राजघराने की युवरानी वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ हुआ।
वर्तमान में हेमंत सिंह और वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंतसिंह धौलपुर राजपरिवार तथा रियासत की संपत्ति के अकेले वारिस हैं। सिटी पैलेस के मालिकाना हक के संबंध में यह साफ है कि वर्ष 1958 में केन्द्र सरकार ने राजा दुष्यंत सिंह ने दादा उदयभान सिंह को दे दी।
उसके बाद में उत्तराधिकारी के रूप में सिटी पैलेस अब राजा दुष्यंत सिंह के नाम है। सिटी पैलेस के कथित विवाद में जहां दिल्ली और जयपुर में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं, वहीं धौलपुर में इस मामले में सियायत से जुडे लोग चुप्पी साधे बैठे हैं।
धौलपुर में ना तो भाजपा की ओर से इस मामले का बचाव किया जा रहा है और ना ही कांग्रेस के हमलावर तेवर देखने को मिल रहे हैं। रही आवाम की बात,तो आवाम का कहना है कि सिटी पैलेस ही क्या पूरी रियासत ही राज परिवार की मिल्कियत थी। सिटी पैलसे तो महारानी की ही है, इसमें उनको कांग्रेस या किसी और से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है।
राजा दुष्यंत सिंह हैं सिटी पैलेस के मालिक
सिटी पैलेस के विवाद के संबंध में राजा दुष्यंतसिंह के विधि सलाहकार अंबरीष श्रीवास्तव ने बताया कि आजादी के बाद देशी रियासतों को समाप्त करने के बाद शासकों से उनकी संपत्ति रखे जाने के बारे में केन्द्र सरकार ने जानकारी मांगी थी। इसमें रियासतों के राजाओं से यह सूची मांगी गई, कि वे कौन कौन सी संपत्ति एवं जायदाद अपने पास रखना चाहते हैं।
तब धौलपुर रियासत के तत्कालीन शासकों की ओर से इन्वेंटरी लिस्ट ऑफ डाक्यूमेंट में शामिल केसरबाग के बदले में सिटी पैलेस को अपने पास में रखा गया था। इस प्रकार से केन्द्र सरकार ने 22 नवबंर 1958 को सिटी पैलेस को धौलपुर रियासत की संपत्ति के रूप में मान्यता दे दी।
इस कवायद में केसरबाग के रक्षा मंत्रालय को दिए जाने के बाद में सिटी पैलेस धौलपुर राज परिवार का आधिकारिक एवं पैतृक निवास बन गया। राजपरिवार की संपत्ति के निस्तारण की प्रक्रिया के बाद में कानूनी रुप से धौलपुर रियासत के राजा हेमंत सिंह के पुत्र दुष्यंतसिंह सिटी पैलेस समेत अन्य संपत्ति के वारिस बन गए। श्रीवास्तव ने बताया कि इसी क्रम में 11 जून 2004 को सिटी पैलेस तथा उससे जुडी भूमि राजस्व रिकार्ड में राजा दुष्यंत सिंह के नाम दर्ज है।
हालात ऐसे हैं कि सियासतदानों की ओर से सिटी पैलेस को लेकर रोज रोज मीडिया में नए खुलासे हो रहे हैं। कई चैनलों की टीम और खबरनवीस धौलपुर आकर मामले की तह में जाने की कोशिश कर रहे हैं।
वर्तमान में धौलपुर रियासत की महारानी वसुंधरा राजे के हाथों में राजस्थान सूबे की बागडोर है। धौलपुर राजपरिवार का पैतृक एवं आधिकारिक निवास सिटी पैलेस को लेकर इन दिनों विवाद चल रहा है। वर्तमान राजनीतिक बयानों से उपजे विवादों से इतर अतीत की बात करें,तो धौलपुर सिटी पैलेस कई ऐतिहासिक मंजरों का गवाह रहा है।