नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने खुली चुनौती दी है कि वो विधायकों का वेतन बढाने के बजाए कम करें।
विधायकों का कहना है कि वे समाज सेवा के लिए राजनीति में आए हैं इसलिए एक रूपये के वेतन पर भी काम करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल भी हमारे प्रस्ताव का अनुकरण कर विधानसभा के आगामी सत्र में एक रूपए वेतन लेने की घोषणा करें और इससे बचने वाली राशि को जनहित के कार्य में लगायें।
आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों द्वारा वेतन बढ़ोत्तरी की मांग की आलोचना करते हुए भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हम राजनीति में सेवा भाव को लेकर आए हैं पहले तो जो वेतन मिल रहा है वह काफी है पर व्यक्तिगत तौर पर मैं तो मात्र एक रूपए के वेतन पर कार्य करना चाहता हूं।
भाजपा विधायक दल के नेता विजेन्द्र गुप्ता एवं विधायक जगदीश प्रधान ने शर्मा की भावना का समर्थन किया और कहा कि हम आगामी सत्र में विधानसभा में इस संदर्भ में प्रस्ताव लायेंगे। हम केवल सचिवालय भत्ता लेंगे और वेतन का त्याग करने को तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि आप के कई विधायकों ने खर्च की तुलना में वेतन को अपर्याप्त बताते हुए वेतन बढ़ाने की मांग की है। उनका तर्क है कि उन्हें जो वेतन के रूप में रकम मिलती है वह कार्यालय और उससे जुडी गतिविधियों में ही खत्म हो जाती है।
तिमारपुर से आप विधायक पंकज पुष्कर ने सार्वजनिक रूप से यह मुद्दा उठाया था इसके बाद गुपचुप तरीके से कई अन्य आप विधायकों ने पुष्कर की बात का समर्थन किया है।
2011 में हुआ था सैलरी में इजाफा
शीला सरकार के दौरान वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की सैलरी में इजाफा हुआ था । इसके बाद से मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हर महीने 97 हजार रुपए वेतनमान के रूप में मिलते हैं। वहीं, विधायकों को 81 हजार रुपए वेतनमान के रूप में मिलते हैं। इस दौरान भत्तों में पहली बार पेंशन का भी इंतजाम किया गया है, जो पूर्व विधायकों के लिए भी है ।
गौरतलब है कि वतर्मान में दिल्ली के विधायकों को तकरीबन 81 हजार रुपए सैलरी मिलती है । इनमें वेतन के अलावा भत्ते भी शामिल हैं। दिल्ली सरकार अगर चाहे तो वेतनमान बढ़ाने का प्रस्ताव लॉ डिपार्टमेंट के पास भेज सकती है। दिल्ली के विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव यही विभाग बनाता है।