लंदन। अगर आप ज्यादा चिड़चिड़ापन या थकावट या एकाग्रता में कमी के शिकार हैं तो ध्यान दीजिए कहीं आप रात का टीवी धारावाहिक या रात की ड्यूटी करने की वजह से अपनी रातों की नींद तो पूरी नहीं कर पा रहे।
अगर आपका जवाब हां है तो जनाब अब भी संभलिये। रातों की नींद उडऩा न सिर्फ मोटापे और उच्च रक्तचाप को बुलावा देना है बल्कि इससे आपकी निजी और पेशेवर जिंदगी दोनों में उथलपुथल मच जाती है।
ब्रिटिश दैनिक डेली में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक नींद की कमी का असर कामकाज और स्वास्थ्य पर पड़ता है और इससे आत्मनियंत्रण कम होता जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार नींद की कमी की वजह से व्यक्ति की निर्णय क्षमता प्रभावित होती है जिसके कारण वह ज्यादा प्रतिक्रियावादी होता है और उसकी एकाग्रता भी कम जाती है।
निर्णय क्षमता और एकाग्रता पर पड़े इस दुष्प्रभाव की वजह से निजी और पेशेवर ङ्क्षजदगी दोनों पर बुरा असर पडऩे लगता है। इस अध्ययन में शामिल दक्षिणी कैरोलिना के क्लेमसन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जून पिशेर के मुताबिक हर दिन हम कई तरह के निर्णय लेते हैं और इसके लिए आत्मनियंत्रण जरूरी है।
अगर हमारे सामने परस्पर विरोधी इच्छाएं और अवसर आते हैं तो आत्मनियंत्रण के जरिये ही हम उन पर काबू पाकर उचित निर्णय लेते हैं। अगर नींद कम ली जाए या हर दिन सोने के घंटे घटते-बढ़ते रहे या सोने का समय निर्धारित न हो तो वैसे लोग आत्मनियंत्रण खोने लगते हैं।
आत्मनियंत्रण की कमी से व्यक्ति के अंदर गुस्सा जल्दी पनपने लगता है जिससे ऑफिस और घर दोनों जगहों पर मुसीबतें पैदा होती हैं। अच्छी नींद लेने पर व्यक्ति के अंदर ऊर्जा का स्तर बना रहता है और ऊर्जावान व्यक्ति कठिन निर्णय लेने की क्षमता रखता है। वह आसान रास्तों को नहीं तलाशता या हल्के काम नहीं लेता।