झुंझुनू। नाबालिग से रेप के मामले में यहां संबधित न्यायालय ने एक महिला सहित दो जनों को दस-दस साल की सजा से दंडित किया है।
विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण प्रकरण) झुंझुनू, सीमा जैन ने सुभाष जाट मुन्नीदेवी को अनुसूचित जाति की नाबालिग से दुष्कर्म के करीब सवा 8 साल पुराने मामले में निर्णय देते हुए दस-दस साल की कठोर कैद और 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
प्रकरण अनुसार 2007 में 5 मार्च को चनाना निवासी सुभाष मेघवाल ने भतीजी (पीड़िता) भाभी के साथ चिड़ावा थाने पर रिपोर्ट दी थी।
इसमें बताया था कि 5 मार्च की दोपहर चनाना की पुरानी बस्ती निवासी मुन्नीदेवी उसकी नाबालिग भतीजी के घर आई और उसे खेत से लकड़ी मंगवाकर लाने की बात कही।
उसकी भतीजी पढ़ाई बीच में छोड़ मुन्नीदेवी के साथ चली गई। मुन्नीदेवी ने उससे कहा कि पहले घर चलकर चाय पीएंगे और बाद में खेत चलेंगे। मुन्नीदेवी ने चाय बनाई और पीडि़ता से खुड्डी में रखे गिलास लाने को कहा।
पीडि़ता खुड्डी में गई तो वहां पुरानी बस्ती चनाना निवासी सुभाष जाट छुपा बैठा था। जिसने पीडि़ता को पकडक़र मुंह दबा लिया। मुन्नीदेवी ने खुड्डी के किवाड़ बंद कर बाहर से सांकळ लगा दी तथा सुभाष ने पीडि़ता से दुष्कर्म किया।
चिड़ावा पुलिस ने दुष्कर्म के षडयंत्र में मुन्नीदेवी तथा दुष्कर्म करने और अनु. जाति जनजाति अत्याचार निवारण एक्ट में मामला दर्ज कर सुभाष को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ संबंधित कोर्ट में चालान पेश कर दिया। इस्तगासा पक्ष द्वारा कुल 18 गवाहों के बयान कराए गए। विद्वान न्यायधीश ने दोनों को उक्त सजा से दंडित करने का फैसला दिया। राज्य सरकार की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सुभाषचंद्र शर्मा ने की।