लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर धमकाने का आरोप लगाने वाले पुलिस महानिरीक्षक अमिताभ ठाकुर को सोमवार रात निलम्बित कर दिया।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि ठाकुर को स्वेच्छाचारिता, अनुशासनहीनता, शासन विरोधी दृष्टिकोण, उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी, अपने पद से जुड़े दायित्वों एवं कर्तव्यों के प्रति उदासीनता व नियमों आदि के उल्लंघन मे प्रथमदृष्टया दोषी पाते हुए तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया।
ठाकुर निलम्बन की अवधि में पुलिस महानिदेशक कार्यालय से सम्बद्ध रहेंगे तथा उनकी पूर्वानुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। गौरतलब है कि वरिष्ठ आईपीएस ठाकुर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा एक रिट याचिका के संबंध में पारित निर्णय में आदेशित किया गया था कि सरकारी सेवा में रहते हुए शासन की अनुमति प्राप्त किए बिना लोकहित याचिका दायर न की जाए। उच्च न्यायालय द्वारा यह भी निर्देशित किया गया था कि शासन की अनुमति के बगैर कोई भी लोकसेवक इस प्रकार की लोकहित याचिका दाखिल नहीं करेगा जब तक संगत प्रकरण में उसके व्यक्तिगत हित अन्तर्निहित न हों।
ठाकुर द्वारा नियम-विरूद्ध जिस ढंग से और उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना करते हुए अनेक याचिकायें दाखिल की हैं। साथ ही ठाकुर अपने अधिकार-क्षेत्र के बाहर जाकर शासन एवं विभिन्न शासकीय विभागों के प्रकरणों की जांच बगैर मीडिया के माध्यम से की गयी शासन की नीतियों एवं अधिकारियों के विरूद्ध बयानबाजी की गई। उनके इस आचरण से पुलिस विभाग में अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिल रहा था तथा जनता में सरकार और पुलिस विभाग की छवि धूमिल हो रही थी।
ठाकुर के द्वारा नियमों की अवहेलना करते हुए बिना अनुमति के विभिन्न संगठनों की बैठकों में भाग लेने, सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करने, जनता को उकसाकर अथवा दिग्भ्रमित करके शासकीय अधिकारियों के कार्यो में बाधा पहुंचाने, पुलिस प्रशासन एवं सरकार की छवि को धूमिल करने संबंधी क्रियाकलापों में संलिप्त होने, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विरूद्ध सार्वजनिक रूप से गरिमाविहीन एवं आपत्तिजनक टिप्पणी करने, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक के सामने धरना देने, अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियमावली, 1969 के तहत वार्षिक सम्पत्ति विवरण त्रुटिपूर्ण एवं अनियमित ढंग से प्रेषित करने, अपनी शासकीय क्षमता एवं सरकारी संसाधनों का अनुचित प्रयोग करके सरकारी विभागों से सूचनाएं प्राप्त कर उनके आधार पर अपनी पत्नी के माध्यम से तथा स्वयं भी जनहित याचिकाएं दाखिल कराने के तथ्य भी सरकार के संज्ञान में आए।
ठाकुर ने पिछले शनिवार को सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर धमकाने का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ हजरतगंज थाने में तहरीर दी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी सवाल उठाया था और कहा था कि वह अपने पिता के खिलाफ राजधर्म का पालन करें। रविवार को ठाकुर के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एक महिला के साथ बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया गया। ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने गाजियाबाद की एक महिला को नौकरी देने के बहाने लखनऊ बुलाया और अपने घर में उसके साथ दुष्कर्म किया।
यह घटना पिछले दिसम्बर की है। महिला ने गोमतीनगर थाने में ठाकुर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मुकदमे के बाद ठाकुर ने आशंका जताई थी कि उनकी हत्या भी की जा सकती है। उन्होंने इस मुकदमे को सपा अध्यक्ष का रिटर्न गिफ्ट बताया था। अमिताभ प्रकरण राजनीति में भी चर्चा का विषय बना।
विपक्ष ने इसी बहाने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया तो सरकार की ओर से बचाव में यह कहा गया कि सपा अध्यक्ष वरिष्ठ नेता हैं और वह मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों और अधिकारियों को अपनी सलाह और सुझाव देते रहते हैं। सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां का कहना था कि पूरे देश का मीडिया एक बलात्कारी की मदद कर रहा है जबकि उसकी सहानुभूति पीडि़त महिला के साथ होनी चाहिए।