मुंबई। मुंबई बम धमाके के आरोपी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन को नागपुर केन्द्रीय कारागार में 30 जुलाई को फांसी दी जाएगी। हालांकि उसकी आस सुप्रीमकोर्ट की सुधार याचिका पर टिकी हुई है, जिसपर 21 जुलाई को सुनवाई होगी।
टाडा अदालत ने 2007 में भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत आपराधिक साजिश में शामिल रहने के आरोप में याकूब को दोषी पाया था और उसे फांसी की सजा सुनाई थी।
मुंबई हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट द्वारा सजा बरकरार रखे जाने के बाद याकूब ने राष्ट्रपति के पास याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति ने इस साल अप्रेल में खारिज कर दिया था।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि याकूब ने इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में सुधार याचिका दायर की है लेकिन फांसी के फैसले पर कोई स्थगन आदेश नहीं होने के कारण हम प्रक्रिया के तहत काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि फांसी के दिन और समय को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की स्वीकृति मिल चुकी है। इस बारे में नागपुर की अदालत एवं स्थानीय प्रशासन समेत सभी प्राधिकरणों और याकूब के परिजनों को अवगत करा दिया गया है।
नियम के अनुसार दोषी और उसके परिवार को फांसी से 15 दिन पहले ही सूचना दे दी जाती है। उन्होंने बताया कि याकूब के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी की जा रही है और अब तक उसे किसी तरह की शारीरिक या मानसिक परेशानी नहीं है। अपने वकील से मिलने के बारे में पूछे जाने पर उसने मना कर दिया।
उल्लेखनीय है कि मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में 260 लोगों की मौत हो गई थी। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट याकूब को 27 जुलाई 2007 को फांसी की सजा सुनाई गई थी।