नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की करीबी स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष बनाये जाने के मामले में सरकार ने अपनी गलती मानी है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सरकार स्वीकार करती है कि स्वाति मालीवाल को डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष नियुक्त करने संबंधी मामले में सरकार से गलती हुई है।
उनकी नियुक्ति संबंधित फाइल उपराज्यपाल को भेजी जानी चाहिए थी। चाहे उपराज्यपाल कार्यालय इस पर कोई भी प्रतिक्रिया देते। हालांकि अब सरकार स्वाति मालीवाल की नियुक्ति की फाइल को उपराज्यपाल के पास भेजेगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर स्वाति मालीवाल की नियुक्ति की थी, जिसे उपराज्यपाल नजीब जंग ने रद्द कर दिया।
असंवैधानिक कदम उठाकर केन्द्र से टकराव चाहते हैं केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने स्वाति मालीवाल की नियुक्ति को रद्द किये जाने का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जानबूझकर एक के बाद एक असंवैधानिक कदम उठाकर केन्द्र सरकार से टकराव चाहते हैं।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि स्वाति मालीवाल की नियुक्ति मुख्यमंत्री ने बिना उपराज्यपाल की सहमति के की थी। ऐसे में यह नियुक्ति तो हर हाल में रद्द होनी ही थी।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल जनता के हित में कार्य करने के स्थान पर प्रतिदिन केन्द्र सरकार, दिल्ली पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा आदि से टकराव करते हैं। असल में वे ऐसा करके मीडिया में बने रहना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल का प्रत्येक कदम दिल्ली की जनता को गुमराह करने वाला है। हालांकि जनता अब उनके झांसे में आने वाली नहीं है।
मालीवाल विवाद को केजरीवाल सरकार की उपज
दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति विवाद को भाजपा ने केजरीवाल सरकार की उपज करार दिया है। पार्टी ने केजरीवाल सरकार से सवाल किया है कि जब उसने पूर्व में स्वयं पुष्पा मैत्री की नियुक्ति की सिफारिश की फाइल उपराज्यपाल को भेजी थी, तो फिर इस बार स्वाति मालीवाल की फाइल क्यों नहीं भेजी। क्या मालीवाल इस पद के अनुरूप योग्यतायें नहीं रखतीं?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि महिला आयोग सहित ऐसे सभी मामलों में उपराज्यपाल नियुक्ति के प्राधिकारी हैं। बावजूद इसके केजरीवाल ने संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख अपने एक विश्वास पात्र अधिकारी से स्वाति मालीवाल का नियुक्ति पत्र जारी करवा दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह कदम उनकी टकराव की राजनीति की ओर इशारा करता है।
उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में केजरीवाल सरकार ने स्वयं पुष्पा मैत्री की नियुक्ति की सिफारिश की फाइल उपराज्यपाल को भेजी थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार को अब दिल्ली की जनता को बताना होगा कि जब 2014 में उन्हें मालूम था कि दिल्ली महिला आयोग के नियुक्ति प्राधिकारी उपराज्यपाल हैं तो 2015 में स्वाति मालीवाल की नियुक्ति की सिफारिश की फाइल उपराज्यपाल कार्यालय क्यों नहीं भेजी गई? क्या मालीवाल इस पद के अनुरूप योग्यतायें नहीं रखतीं?
उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से प्रश्न किया है कि आप हर मसले में संविधान के प्रावधानों को चुनौती देते हैं, ऐसे में आपने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के लिए संविधान के पालन की शपथ क्यों ली थी?