सिरोही। ना हँसियेगा और ना चोंकियेगा क्योंकि ये भी विडंबना ही है कि नेताजी ये नहीं जानते कि छात्र राजनीति की शुरुआत होती कहाँ से है।…
जब हमने ये सुना कि आठवी तक पढ़े नेताजी ने एक कार्यक्रम में ये कहा की उन्होंने भी छात्र राजनीति की है तो हम भी ऐसे ही चोंक गए। हमारी उम्र से लेकर उनकी उम्र तक के हर कॉलेज पास कर चुके हर आदमी से एक सवाल पूछा कि भाई आपके समय में आठवी कक्षा में छात्र संघ चुनाव हुआ करते थे क्या? तो सभी ने मेरा ही मजाक उडा दिया और बोले कि अमा इसी उम्र में सठिया गए हो क्या।
कॉलेज से पहले छात्र संघ चुनाव होते नहीं और छात्र संगठनों की गतिविधियाँ भी स्कूल स्तर पर शुरू भी होती है तो वो 11 वी के बाद। हम भी लाजवाब। जो जलालत नेताजी को आठवी में छात्र राजनीति की बात कहने पर झेलनी थी वो मुझे अपनी जिज्ञासा की शांत करने में झेलनी पड़ी। शायद ये जलालत सिरोही का हर व्यक्ति भी झेल रहा हो जो इन नेताजी को नेता बनाने का भागीदार रहा है।
खैर नेताजी अपनी अज्ञानता भरी बातों से शायद ही बाज आयें लेकिन ऐसे व्यक्ति की तलाश अब भी जारी है जो ये कहकर संतुष्टि दे दे कि भाई उनके समय में आठवी में ही छात्र संघसंघ राजनीति की शुरुआत हो सके ताकि ये संतुष्टि तो हो सके कि मेरे शहर ने सही व्यक्ति को नेता बनाया है।