नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में जारी गतिरोध के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि केंद्र सरकार जब तक विपक्ष की मांगों को नजरअंदाज करती रहेगी, हमारा विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि चर्चा और संवाद पहले तथा कार्रवाई बाद में करने का भाजपा का रुख कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं है।
संसद परिसर में सोमवार को कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि बहुमत को कभी घमंडी नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से अनेक वादे किए हैं, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि वो उन वादों को पूरा कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार की ओर से सिर्फ वादे ही किए जा रहे हैं I इसके अलावा सरकार ने कुछ नहीं किया है। वह सिर्फ वादों की झड़ी लगाती जा रही है और उनकी मार्केटिंग कर रही है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी उच्च नैतिकता का दावा करते हैं। पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ वह अपनी एक मंत्री और दो मुख्यमंत्रियों के गुनाहों पर चुप्पी साध लेते हैं। जब कभी उनके सहयोगियों पर कोई इल्जाम लगता है, उनके मन की बात मौन व्रत में तब्दील हो जाता है।
उन्होंने सरकार की नीतियों को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि किसान भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ हैं और सरकार इसे लाना चाहती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को मिले जनाधार का अर्थ यह नहीं है कि वह अपनी जवाबदेही से बच सकती है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा कहती थी कि पहले इस्तीफा बाद में चर्चा। उन्होंने सदन में जारी गतिरोध के लिए सरकार को ही आड़े हाथों लिया और कहा कि कल तक चर्चा से पहले इस्तीफे को लेकर शोर मचाने वाली आज दूसरे सुर अलाप रही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन सरकार का रवैया समझ से परे है। उन्होंने कहा कि जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाता, सदन की कार्यवाही चलने नहीं दी जाएगी।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बैठक में कहा कि हम लगातार विरोध कर रहे हैं और तब तक करते रहेंगे जब तक कि सरकार मंत्री और मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा नहीं ले लेती। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं होगा।