नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें आग्रह किया गया था कि कोर्ट प्रधानमंत्री और सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों से महिलाओं को मंत्री बनाने के लिए कहे। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एच. एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि क्या हम कह सकते हैं कि यह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के लिए अच्छा होगा कि वे अपनी मंत्रिपरिषद में महिलाओं को जगह दें? अगर हमारी ऐसी इच्छा हो तो भी नहीं कह सकते। ऐसा करने के लिए अलग मंच मौजूद हैं।
यह अर्जी तेलंगाना की विधायक डी.के.अरुणा ने दाखिल की थी। उनकी वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत से कहा कि उनकी मांग महिलाओं के लिए कोई निश्चित कोटे के बारे में निर्देश देने की नहीं है।
उनकी सिर्फ यह गुजारिश है कि अदालत महिलाओं को मंत्री बनाने के लिए कहे। मीनाक्षी ने कहा कि ऐसा करना संविधान के सभी को समान अवसर और लैंगिक आधार पर भेदभाव न करने के प्रावधान के अनुरूप होगा।
अरुणा ने अपनी अर्जी में कहा है था कि तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, नागालैंड, मिजोरम और पुडुचेरी लैंगिक असमानता के शिकार हैं क्योंकि यहां कोई महिला मंत्री नहीं है। अरुणा अविभाजित आंध्र प्रदेश में मंत्री रह चुकी हैं।