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कनाडा चुनाव में सिंह का मुकाबला सिंह से - Sabguru News
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कनाडा चुनाव में सिंह का मुकाबला सिंह से

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कनाडा चुनाव में सिंह का मुकाबला सिंह से
Singh vs Singh in Canada Elections
Singh vs Singh in Canada Elections
Singh vs Singh in Canada Elections

टोरंटो। साल 1993 में कनाडा में एक रिकार्ड बना था। पहली बार एक पगड़ीधारी सिख, गुरबख्श सिंह माल्ही को सांसद चुना गया था। अक्टूबर में कनाडा में संसद के चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि एक बार फिर एक रिकार्ड बन सकता है। पहली बार एक गोरा यानी श्वेत सिख सांसद बन सकता है।

इस ‘गोरे’ सिख का नाम मार्टिन सिंह ‘पॉजी’ है। 42 साल की उम्र है। 1991 में इन्होंने सिख धर्म स्वीकार किया था। कहते हैं कि सिख धर्म उन्हें इसलिए अच्छा लगा क्योंकि गुरु नानक का जोर इस पर है कि ‘नाम जपो, कीरत करो और वंद चखो’। साथ ही यह भी कि गुरु नानक ने गुरु का पद अपने किसी सगे संबंधी को नहीं बल्कि उसे सौंपा जो इसके योग्य था।

Singh vs Singh in Canada Elections
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मार्टिन ‘पॉजी’ टोरंटो के पड़ोस के शहर उत्तरी ब्रांपटन से चुनाव लड़ रहे हैं। कनाडा में भारतीयों की संख्या के मामले में यह शहर दूसरे नंबर पर है। इनमें ज्यादातर पंजाबी हैं। मार्टिन विपक्षी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी हैं और सर्वे बता रहे हैं कि औरों से आगे चल रहे हैं।

अमृतसर की एक महिला से ब्याह रचाने वाले मार्टिन का मुकाबला दो सिखों से है। एक हैं शासक कंजरवेटिव पार्टी के मौजूदा सांसद परम गिल और एक अन्य हैं लिबरल पार्टी की रूबी सहोता।

मार्टिन सिंह कहते हैं कि हम जीतने के लिए मैदान में हैं। लोगों का रुख बहुत सकारात्मक है। मेरे क्षेत्र में 21,000 पंजाबी हैं और मैं सभी से घर-घर जाकर मिल रहा हूं। उन्हें मुझ पर विश्वास है। वे जानते हैं कि मैं क्या कर सकता हूं। मार्टिन एक दवा कंपनी चलाते हैं जिसमें 500 लोगों को नौकरी मिली हुई है।

कनाडा में हाल में आव्रजन संबंधी नियमों में बदलाव से आप्रवासियों की दिक्कतें बढ़ी हैं। मार्टिन की नजर इस पर है। अपने चुनावी मुद्दे के बारे में वह कहते हैं कि कनाडा का आव्रजन और वीजा सिस्टम बिखर सा गया है। हम इसे जोडऩा चाहते हैं। हम जानते हैं कि आप्रवासी परिवार चाहते हैं कि उनका पूरा परिवार एक साथ रहे। मैं एक व्यापारी हूं, चाहता हूं कि रोजगार के अवसर पैदा हों जो कि अभी गायब से हो गए हैं।

कनाडा में संसद का चुनाव 19 अक्टूबर को होना है। 10 से अधिक निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां किसी सिख प्रत्याशी का सामना किसी सिख से ही है।