नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस, हर साल देश के लिए शहीद हुए जवानों की शहादत को याद किया जाता है। लेकिन सच यह भी है कि आज के बच्चों और युवा पीढ़ी को देश के लिए अपनी जान देने वाले शहीदों के कठिन जीवन और संघर्ष के बारे में जानकारी नहीं है।
युवा पीढ़ी और बच्चों को अपने देश के “रियल हीरो” की गाथा सुनाने का बीड़ा उठाया है, थल सेना के रिटायर मेजर-जनरल जी. डी. बक्शी ने। वो देश के युद्ध नायकों पर ऐसी कॉमिक्स तैयार करा रहे हैं, जो देश के वास्तविक जीवन नायकों के संघर्ष भरे जीवन की गाथाओं को चित्रों और कहानियों के जरिए बताती हैं।
मातृभूमि के लिए वीरगति प्राप्त हुए सैनिकों की प्रेरक कहानियों को आम लोगों तक कॉमिक्स के रूप में पहुचाने का बीड़ा उठाने वाले सेनानिवृत मेजर-जनरल जी.डी बख्शी ने हिन्दुस्थान समाचार से हुई विशेष बातचीत में बताया कि वर्तमान समय में बच्चे हों या युवा, सभी बॉलीवुड और टीवी में काम करने वालें कलाकारों का अनुसरण करते हैं और उन्हें अपना हीरो मानते हैं ।
इसके विपरीत असल जिंदगी के हीरो को जानने से वह हमेशा वंचित रहते हैं और वे कभी भी देश के असली हीरो को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए यह जरुरी है कि बच्चों सहित देश की नयी पीढ़ी को उन असली हीरो के विषय में भी बताया जाए, जिन्होंने असली जिंदगी में हीरो की तरह काम किया और फिर देश की खातिर शहीद हो गए ।
मेजर-जनरल बख्शी के मुताबिक बच्चों को बचपन से कार्टून कॉमिक्स में काफी दिलचस्पी होती है। रंगबिरंगे तथा चित्रों वाली कॉमिक्स के पात्र बच्चों के मस्तिष्क में अपना घर बना लेते हैं। इसलिए उन्होंने देश के असली हीरो की कहानियों को कॉमिक्स के पात्रों और चित्रात्मक कला के माध्यम से ही लोगों तक पहुचाने की एक कोशिश शुरू की है।
सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने इस कॉमिक्स प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया और फिर उन युद्ध नायकों पर भारतीय युद्ध कॉमिक्स निकलने की शुरुवात की, जिनको युद्ध के दौरान अदम्य साहस का प्रदर्शन करने पर परमवीर चक्र या अशोक चक्र सरीखे बहादुरी के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है ।
मेजर-जनरल बख्शी ने अब तक जिन युद्ध वीरों की कहानियों को कॉमिक्स के जरिए पेश किया है, उनमें थल सेना, नौसेना, और वायु सेना के सात शूरवीरों शामिल हैं . इनमे परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा पर आधारित द हीरो ऑफ कारगिल, अशोक और कीर्ति चक्र विजेता कर्नल एन जे नायर के कारनामों पर आधारित- द ट्रू मराठा, अशोक चक्र विजेता मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर आधारित ब्रैवहर्ट ऑफ मुम्बई, परमवीर चक्र से सम्मानित और थल सेना के मानद कैप्टन बाड़ा सिंह पर आधारित हीरो ऑफ सियाचिन, परमवीर चक्र से सम्मानित सेकंड-लेफ्टिनेंट अरुण खेतरापल पर आधारित आईकोनिक हीरो ऑफ 1971 वॉर, परमवीर चक्र विजेता फ्लाइंग-आफिसर एन एस सेखों पर आधारित एयर फोर्स हीरो ऑफ 1971 तथा महावीर चक्र विजेता कमोडोर बी बी यादव पर आधारित द नेवल हीरो ऑफ 1971 आदि कॉमिक्स शामिल हैं ।
मेजर-जनरल जी डी बक्शी के अनुसार इन युद्ध कॉमिक्स के जरिए हमारी यह कोशिश है कि बच्चों के भीतर देशभक्ति की भावना पैदा हो और उन्हें पता चले कि किस तरह से वीर सैनिक अपनी जान की परवाह ना करते हुए देश की रक्षा करते है, जिससे देशवासी आजादी से रह सकें और खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। वह कहते हैं कि बच्चों एवं युवाओं के लिए हमारे फौज़ी एक आदर्श और धर्मनिरपेक्षता के रोल मॉडल हैं। चूकि तीनों सेनाओं में भर्ती होने वाले सैनिक देश के हर कोने से आते हैं, इसलिए वह राष्ट्रीय एकीकरण के सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
मेजर-जनरल बख्शी के मुताबिक यह युद्ध कॉमिक्स सशस्त्र बलों और उनके मूल्यों को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। एक कॉमिक्स को तैयार करने में कितना समय लगता है? इस सवाल के जवाब में मेजर-जनरल बख्शी कहते है कि यह कोई तय नही होता, लेकिन एक कॉमिक्स को अंतिम रूप देने में दो से तीन महीने का समय लगता है I कंप्यूटर के साथ ही कुछ काम हाथ से कागज पर करना होता है और चित्रों को कहानी के अनुरूप तैयार करना और उनको क्रम देना आदि कई ऐसे काम है, जो समय लेते हैं I
सात कॉमिक्स बना चुके मेजर-जनरल बख्शी अब नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इनमें परमवीर चक्र से सम्मानित कर्नल ए बी तारापोर पर ए पारसी हीरो और परमवीरचक्र से सम्मानित हवलदार अब्दुल हामिद पर आधारित ए सेलीब्रेटेड हीरो फ्रोम माइनोरिटी कम्युनिटी आदि कॉमिक्स शामिल हैं । इसके अलावा मेजर-जनरल बक्शी सिकिम्म के रहने वाले और अशोक चक्र विजेता संजोग छेत्री, महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर डेसमंड हाइडी पर भी युद्ध कॉमिक्स तैयार कर रहे हैं। वह कहते हैं कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भी एक कॉमिक्स की रचना की जा रही हैं । लगभग दो महीनों के अंदर यह कॉमिक्स भी बाजार में आ जाएगी ।